May 6, 2024


Warning: sprintf(): Too few arguments in /home/zurwmpgs60ss/public_html/shimlanews.com/wp-content/themes/newsphere/lib/breadcrumb-trail/inc/breadcrumbs.php on line 253

मेरे बेहतरीन सालों की नींव शिमला की उर्वर भूमि में ही पड़ी थी – अनुपम खेर

1 min read

कला संस्कृति भाषा अकादमी के साहित्य कला संवाद में बोले अनुपम खेर
शिमला।
कला संस्कृति भाषा अकादमी के साहित्य कला संवाद के कारवां के 466वें पड़ाव में इस बार अनुपम खेर से चर्चा की गई। उन्होंने कहा कि तरक्की चाहे मैंने शिमला के बाहर प्राप्त की हो, लेकिन उस तरक्की की बुनियाद शिमला में ही पड़ी थी। यहां के पहाड़ों इन वादियों ने उन्हें सपने देखना सिखाया। पहाड़ों ने उनके जीवन में दृढ़ता और स्थिरता का भाव पैदा किया।

अनुपम कहते है कि जीवन में उपलब्धियों के बाद भी सादगी होनी चाहिए, जो शिमला शहर और हिमाचल की आंचलिकता में रची बसी है। रिश्ते निभाने का हुनर शिमला बखूबी सिखाता है। उन्होंने कहा कि यदि व्यक्ति मेहनत और सच्चाई के साथ कार्य करता रहे तो सफलता अवश्य ही प्राप्त होती है और यही अनुपम की जिंदगी का दर्शन शास्त्र रहा है।

अपने बचपन के दिनों को याद करते हुए वो अपने नाभा वाले घर मकान नम्बर 4/4, नाभा हाउस की स्मृतियों में खोते हुए बताते है कि उस छोटे से घर में उन्हें जीवन का बहुत बड़ा पाठ पढ़ाया। रंगमंच को अनुपम खैर जुनून मानते है, जिसमें पैसा भले ही कम हो लेकिन जोश बरकरार रहता है। वो कहते है कि रंगमंच सम्प्रेषण और संचार का माध्यम है, जिसकी जीवंतता ही उसकी शक्ति है। उन्होंने कहा कि हमारे लोक नाट्य इसका सबसे बड़ा उदाहरण है, जिसमें संदेशों का संचार किया जाता था। वो कहते है कि रंगमंच एक्टर के जंग को साफ करने का एक माध्यम है।

राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अनेक फिल्में करने तथा असंख्य पुरस्कार प्राप्त करने के उपरांत भी अनुपम खेर अपने कार्य को अभी भी जीवन का अंतराल मानते है। वो कहते है कि अभी तो बहुत कुछ करना बाकी है। अनुपम कहते है कि उन्होंने जीवन को कभी भी चुनौतियों के रूप में स्वीकार नहीं किया जबकि इसे सहज भाव से जीने के लिए निरंतर कार्य करते रहे है।  

चर्चा के दौरान अचानक ही फिल्म अभिनेता अनिल कपूर का फोन अनुपम खैर को आना और उसे सभी के साथ सांझा कर सहजता से अपनी बात को कहना अनुपम खैर के सरल स्वभाव का द्धयोतक बना।
चर्चा के दौरान संजय सूद द्वारा उनकी अभिनय की ताकत के पीछे की योजना के संबंध में पूछे गए प्रश्न पर बोलते हुए अनुपम कहते है कि बिना किसी दबाव के अपने कार्य को करते चले जाने की प्रतिबद्धता ही मुझे अभिनय में विविधता प्रदान करने की ताकत सौंपती है। अनुपम कहते है कि जीवन में भीड़ से अलग चलने की भावना ने आज इस मुकाम पर पहुंचाया और यह तभी संभव हो सकता है जब आप जोखिम उठाने के लिए अपने आप को तैयार रखे। सफलता के इस मुकाम पर अनुपम खैर ने सरलता के साथ अपने जीवन की नाकामियों को कहानियों की कड़ियो के रूप में पिरौते हुए चर्चा में उन्मुक्त भाव से प्रश्नों के उत्तर दिए।
अनुपम खैर इकलौते ऐसे कलाकार है, जिन्होंने अपने जीवन की असफलता की आटो बायोग्राफी को सफल रूप से स्वयं मंच पर अभिनित किया, जिसके माध्यम से उन्हें सिनेमा कलाकार के साथ-साथ रंगमंच के कलाकार के रूप में भी अत्यंत ख्याती मिली। इस नाटक ने उस समय में अनुपम खैर की डगमगाती आर्थिक हालत को संबल भी प्रदान किया।
उन्होंने कहा कि मेरे द्वारा अभिनित अधिकांश फिल्मों के किरदार शिमला में मेरे आसपास के लोग रहे हैं। उन्होंने कहा कि उन्होंने अधिकांश फिल्मों में शिमला और इससे संबंधित अपने पुराने लोगों की शारीरिक भाषा को अपनी फिल्मों में अभिनित किया है, जिसमें नाभा के संतोष का लड़का मिर्चु, स्वयं उनके कंजूस चाचा और नाभा रामलीला का काॅमेडियन टिंचु नाई शामिल है। उन्होंने कहा कि मेरे जीवन में अभिनय की नींव नाभा की रामलीला में वानर का रोल करने से पड़ी है।

कार्यक्रम का संचालन भाषा कला संस्कृति विभाग के पूर्व निदेशक प्रेम शर्मा ने किया। उन्होंने अनुपम खेर के कार्यों की प्रशंसा करते हुए उन्हें सज्जन, त्याग मूर्ति और सहजता का प्रबल व्यक्तित्व बताया।

सचिव अकादमी डाॅ. कर्म सिंह और सम्पादक हितेन्द्र शर्मा द्वारा अनुपम खेर का स्वागत किया गया।
संजय सूद व दक्षा शर्मा ने भी कार्यक्रम संचालन के तहत विभिन्न प्रश्नों के माध्यम से अनुपम खेर के जीवन संबंधी पहलुओं पर चर्चा की इस कार्यक्रम का संपादन हितेन्द्र शर्मा द्वारा किया गया, उन्होने हिमाचल कला संस्कृति भाषा अकादमी शिमला की ओर से सभी अतिथियो, दर्शको और श्रोताओ का आभार प्रकट किया।

About Author

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Copyright © All rights reserved. | Newsphere by AF themes.