भीम आर्मी भारत एकता मिशन सहित विभिन्न संगठनों ने सम्मेलन आयोजित कर निकली बड़ी रैली
1 min readऊना
श्री गुरु रविदास मंदिर प्रांगण बसदेहड़ा में संयुक्त अनुसूचित जाति समाज, भीम आर्मी भारत एकता मिशन द्वारा सम्मेलन आयोजित किया गया। इसमें महाऋषी वाल्मीकि यूथ एकता मिशन, हिमाचल प्रदेश एवं भीम आर्मी हिमाचल प्रदेश के पदाधिकारियों सहित अनुसूचित जाति की धार्मिक संस्थाओं ने भाग लिया और अपने विचार रखे। सम्मेलन में बड़ी संख्या में अनुसूचित जाति समाज के लोगों ने भाग लिया। सम्मेलन के बाद अनुसूचित जाति संगठनों द्वारा अनुसूचित जाति समाज, आरक्षण और एससीएसटी के सम्मान में रोष रैली ऊना एमसी पार्क तक निकाली गई। एमसी पार्क से उपायुक्त कार्यालय परिसर तक संगठनों द्वारा पैदल मार्च किया गया। बसदेहड़ा में विभिन्न गांवों से पहुंचे वक्ताओं ने अपने विचार प्रस्तुत किए। सभी ने सर्वण समाज द्वारा आरक्षण अौर एससीएसटी एक्ट के विरोध को गलत ठहराया। कहा कि कोई अपने अधिकारों की लड़ाई लड़ें लेकिन अनुसूचित जाति को मिले अधिकारों और एक्ट के विरोध को समाज कतई बर्दाश्त नहीं करेगा।
वक्ताओं ने कहा कि कुछ लोग सोशल मीडिया पर सस्ती लोकप्रियता के लिए जहां इन अधिकारों का विरोध कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर सोशल मीडिया सार्वजनिक होकर अनुसूचित जाति के समाज को गालियां दे रहे हैं। उन्होंने ऐसे लोगों का समाज की चेतावनीदी कि वे वक्त रहते सुधर जाएं अन्यथा कानूनी कार्रवाई को अमल में लाया जाएगा।
सम्मेलन की अगुआई कर रहे पूर्व पार्षद एवं श्री गुरु रविदास महासभा के उपाध्यक्ष रवि बस्सी ने कहा कि सर्वण आयोग की मांग कर रहे कुछ शरारती तत्व संविधानिक अधिकारों आरक्षण और एससीएसटी एक्ट का विरोध कर रहे हैं, जोकि सरासर गलत है। अनुसूचित जाति समाज इसे सहन नहीं करेगा। उन्होंने कहा कि जिस दिन मैहतपुर प्रवेश द्वार पर सवर्ण संगठनों की पद यात्रा आई उस दिन 144 धारा लगाई गई थी। आखिर ऐसे में यह पद यात्रा इस धारा के लगे होने के बावजूद प्रवेश कैसे कर गई। इससे प्रशासन की कार्यप्रणाली पर भी सवाल खड़े होते हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि अनुसूचित जाति के बारे में गलत शब्दावली बरती गई है। ऐसे असमाजिक तत्वों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जानी चाहिए।
भीम आर्मी भारत एकता मिशन के जिलाध्यक्ष रिंकू सहजल ने कहा है कि समाज को असली शिकायत उन लोगों से जो आरक्षित सीटों से विधायक बने हैं, ये दलित मुद्दों पर चुप रहते हैं। उन्होंने कहा कि उनको आरक्षण की कोई आवश्यकता नहीं है, बल्कि जमीन और अन्य साधनों में अपना हिस्सा चाहिए। उन्होंने कहा कि राजनीतिक आरक्षण को तत्काल रद्द कर शिक्षा सुविधाओं का विस्तार किए जाए दलितों के अधिकारों पर कब्जा करने वालों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाए।