May 2, 2024

किसान संघर्ष समिति 9 अगस्त के देशव्यापी आंदोलन में हिस्सा लेगी

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कोटखाई (शिमला)।

किसान संघर्ष समिति की बैठकगु गुम्मा, कोटखाई में सुशील चौहान की अध्यक्षता में आयोजित की गई और इसमें किसान संघर्ष समिति के महासचिव संजय चौहान व समिति के अन्य सदस्य भी उपस्थित रहे। इसमे किसानों व बागवानों के विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की गई और संयुक्त किसान मोर्चा के द्वारा कृषि कानूनों को रदद् करने व सभी फसलों को न्यूनतम समर्थन मूल्य निर्धारित कर इसको कानूनी रूप देने के लिए चलाए जा रहे आंदोलन का समर्थन किया। इसमें तय किया गया है किसानों के मुद्दों पर किसान सभा व अन्य संगठनों के द्वारा 9 अगस्त को जो देशव्यापी आंदोलन किया जा रहा है किसान संघर्ष समिति भी इसमे भाग लेगी व कोटखाई व अन्य स्थानों पर भी प्रदर्शन किया जाएगा और प्रधानमंत्री व मुख्यमंत्री को अपनी मांगों को लेकर ज्ञापन दिया जाएगा।

बैठक में भाग लेते हुए सदस्यों ने बागवानों को आ रही समस्याओं पर चर्चा की तथा ओलावृष्टि, सूखे व अन्य प्राकृतिक आपदाओं से किसानों व बागवानों को हुई भारी क्षति पर चिंता जाहिर की गई। सरकार से मांग की गई कि जिन किसानों व बागवानों की फसल प्राकृतिक आपदा से नुकसान हुआ है, सरकार उनको उचित मुआवजा प्रदान करे तथा किसानों व बागवानों द्वारा लिए गए कर्ज की वसूली पर रोक लगाए।

बैठक में सदस्यों ने सेब व अन्य फलों तथा सब्जियों में इस्तेमाल किये जाने वाले पैकेजिंग सामग्री की कीमतों में की गई भारी वृद्धि को तुरन्त वापिस लेने का आग्रह सरकार से किया गया। इस वर्ष सेब की पैकेजिंग में इस्तेमाल होने वाले एक कार्टन बॉक्स की कीमत में 12 से 15 रुपए तक की वृद्धि की गई है और एक ट्रे के बंडल में 100 रुपये प्रति बंडल की वृद्धि की गई है। यह वृद्धि 30 प्रतिशत के वृद्धि है। इसी के साथ माल भाड़े की दरों में भी 20 से 30 प्रतिशत की वृद्धि की गई जबकि सेब व अन्य फलों की कीमत में गत वर्ष की तुलना में 25 प्रतिशत तक कि कमी दर्ज की गई है। इससे बागवानों पर और अधिक बोझ पड़ रहा है जबकि उनकी आय में कमी आ रही है।

सरकार ने हाल ही में HPMC व Himfed द्वारा खरीदे जा रहे सेब की क़ीमत में जो एक रुपये की वृद्धि की गई है वह बागवानों को स्वीकार नहीं है। HPMC व Himfed द्वारा गत वर्षों में की गई खरीद के सेब का भुगतान भी नहीं किया गया है। समिति मांग करती है कि बागवानों के बकाया भुगतान को तुरन्त किया जाए तथा कश्मीर की तर्ज पर सेब के लिये मण्डी मध्यस्थता योजना(MIS) लागू की जाए। इसके आधार पर सेब के A, B व C ग्रेड का रेट कम से कम 60 रुपए, 44 रुपए व 24 रूपये प्रति किलो की दर पर तय किया जाए।

बागवानों की आढ़तियों व खरीददारों के पास बकाया भुगतान के मुद्दे पर भी चर्चा की गई। आज भी हजारों बागवानों के करोड़ों रुपए आढ़तियों ने देने है, परन्तु सरकार इस पर कोई भी ठोस कदम नहीं उठा रही है। वर्ष 2019 में किसान संघर्ष समिति ने उच्च न्यायालय में याचिका में हस्तक्षेप कर एक SIT का गठन करवाया था। बावजूद इसके आज भी आढ़ती व खरीददार समय पर बागवानों का भुगतान नहीं कर रहे हैं यह सरासर एपीएमसी कानून, 2005 का उलंघन है और इससे आढ़ती, खरीददार, एपीएमसी व सरकार का गठजोड़ उजागर होता है। सरकार तुरन्त हस्तक्षेप कर बागवानों का बकाया भुगतान करवाये तथा दोषियों के विरुद्ध कड़ी कानूनी कार्यवाही करे।

बैठक में प्रदेश की विभिन्न मंडियों में गैर कानूनी तरीके से किसानों व बागवानों से की जा रही वसूली पर भी चर्चा की गई। बागवानों से लोडिंग, अनलोडिंग, बैंक चार्जिस, स्टेशनरी, छूट आदि के नाम पर 50 से 70 रुपए तक प्रति पेटी अधिक वसूली कर मंडियों में बागवानों से करोड़ों रुपए की लूट की जा रही है। यह बिल्कुल गैरकानूनी है तथा इस पर एपीएमसी, मार्केटिंग बोर्ड व सरकार इस पर मूकदर्शक बनी हुई है।

बैठक में निर्णय लिया गया कि यदि सरकार समय पर किसानों व बागवानों की इन जायज़ मांगों को हल नहीं करती तो किसानों के अन्य संगठनों के साथ मिलकर किसान संघर्ष समिति आंदोलन करने के लिए मजबूर होगी।

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