April 27, 2024

सेब कार्टन के लिए सरकार ने नहीं किए टेंडर, महंगे दामों पर खरीदने को मजबूर हुए बागवान

1 min read

सब्सिडी खत्म करने से खाद, दवाइयों की कीमतें दुगनी बढ़ी

कांग्रेस ने सरकार पर लगाया सेब बागवानों की अनदेखी का आरोप

कांग्रेस ने प्रदेश सरकार पर आरोप लगाया है कि वह हिमाचल के सेब बागवानों की अनदेखी कर रही है। शिमला में एक प्रैस कांफ्रेंस में कांग्रेस के उपाध्यक्ष नरेश चौहान ने कहा कि सरकार का बीते पांच सालों से सेब बागवानों के प्रति रवैया निराशाजनक बना हुआ हैं। उन्होंने मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर पर भी आरोप लगाया कि वे जानबूझ कर सेब बागवानों की अनदेखी कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि जिस तरह से बागवानी मंत्री
मंत्री महेंद्र सिंह का बागवानों के प्रति जैसे रवैया बना हुआ है उससे लगता है कि उनका इस विभाग का जिम्मा देना दुर्भगायपूर्ण है।

नरेश चौहान ने कहा कि सरकार ने जैसे रवैया अपनाया है उससे सेब इंडस्ट्री पर संकट खड़ा हो गया है। हिमाचल में करीब 1.75 लाख परिवार सीधे तौर पर सेब उत्पादन से जुड़े हुए है और करीब 9 नौ लाख लोग सीधे इससे रोजगार प्राप्त कर रहे है। इसके अलावा अप्रत्यक्ष रूप से लाखो लोग इससे जुड़े हुए हैं। मगर सरकार की नीति से हिमाचल की एप्पल इंडस्ट्री पर संकट खड़ा हो गया है

सब्सिडी खत्म करने से 50 से 100 फीसदी बढ़ी इनपुट की कीमतें

नरेश चौहान ने कहा कि दो से तीन सालों में सेब में इस्तेमाल होने वाली दवाइयों और खाद को कीमतों में दुगनी वृद्धि हो गई है। वहीं पैकिंग मेटीरियल, ट्रांसपोर्टेशन की लागत भी काफी बढ़ गई है।

उन्होंने बताया कि 12:32:16 खाद का बैग तीन साल पहले 800 रुपए में था जो कि आज 1700 रुपए हो गया है। इसी तरह 15:15:15 खाद का एक बैग भी 800 रुपए से 1500 हो गया है। इसी तरह एक अन्य खाद भी 850 रुपए से 1750 रुपए हो गया है। सेब को स्कैब, माइट जैसी कई बीमारियों से बचने के लिए दवाइयों, ट्री ऑयल की स्प्रे करनी पड़ती है। हर बार करीब 20 से 25 स्प्रे बागवान सेब की फसल पर करते हैं। लेकिन इनकी कीमतों में कई गुना बढ़ोतरी हुई है। इसकी एक वजह यह है कि अहले 2020 तक इन पर सब्सिडी दी जाती थी, मगर जयराम सरकार ने यह खत्म कर दी है। इसी तरह केंद्र की मोदी सरकार ने 18.50 फीसदी जीएसटी कार्टन और दवाइयों पर लगा दिया है। इससे बागवानों की लागत बढ़ी है जबकि कमाई लगातार कम हो रही है। सेब की पैकिंग में इस्तेमाल में होने वाले कार्टन और ट्रे की कीमतों में भी काफी इजाफा किया गया है। पहले सरकार सरकार कार्टन के लिए इनकी कंपनियों से टेंडर मांगती थी, इससे कार्टन की कीमतें कम रहती थी। लेनिन सरकार ने कार्टन के लिए टेंडर नही किए। इसका नतीजा है कि पिछले बार जहां एक कार्टन 55 से 60 रुपए मिलता था, लेकिन इस साल कार्टन 70 से 80 रुपए में बागवान खरीदने को मजबूर है। इसी तरह सेब कार्टन की एक ट्रे पिछली साल 5 रुपए में मिल रही थी, लेकिन इस साल यह 8 रुपए में मिल रही है। इसी तरह सेब की पेटियों के ट्रांसपोर्टेशन रेट भी कई गुना बढ़ गए है। उन्होंने कहा कि सेब में इस्तेमाल होवे वाली चीजों में सरकार कोई नियंत्रण नहीं कर रही । दरअसल सरकार को बागवानों को कोई फिक्र नहीं है।
उन्होंने कहा कि सरकार एमआईएस का सेब जो एचपीएमसी और हिमफेड के मध्यम से खरीदा था, उसका भी भुगतान समय पर नहीं किया जा रहा। हालात यह कि अभी तक 40 करोड़ का बकाया बागवानों का पेंडिंग पड़ा हुआ है। इसी तरह एंटी हेल नेट की सब्सिडी भी तीन तीन साल से नहीं मिली है।

नरेंद्र मोदी ने भी बागवानों से किए
वायदे पूरे नहीं किए

नरेश चौहान ने कहा कि पीएम नरेंद्र मोदी ने हिमाचल में सेब बागवानों से भी कई वायदे किए थे। उन्होंने कहा कि नरेंद्र मोदी ने सेब की इंपोर्ट ड्यूटी 100 फीसदी बढ़ाने की बात थी। इसी तरह कोल्ड ड्रिंक में एप्पल जूस मिलाने की भी बात कही थी। लेकिन इसके लिए कुछ भी नही किया। इससे विदेश से भारी मात्रा में सेब का आयात हो रहा है। उन्होंने कहा कि
अफगानिस्तान के माध्यम से बिना शुल्क से देश में आ रहा है।

About Author

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Copyright © All rights reserved. | Newsphere by AF themes.