शिमला
एसजेवीएन लिमिटेड ने सौर ऊर्जा परियोजनाओं के विकास में परामर्शी सेवाएं प्रदान करने के लिए आरईआईएल (राजस्थान इलेक्ट्रॉनिक्स एंड इंस्ट्रूमेंटस लिमिटेड) के साथ एक एमओयू हस्ताक्षरित किया है।
आरईआईएल, भारी उद्योग मंत्रालय के प्रशासनिक नियंत्रण में भारत सरकार का एक उद्यम है, जिसके पास नवीन एवं नवीकरणीय मंत्रालय की सौर पीवी परियोजनाओं को लागू करने और बढ़ावा देने का अधिकार है। इनमें ग्रिड से जुड़ी और ऑफ ग्रिड सौर ऊर्जा परियोजनाओं का विकास भी शामिल है।
एमओयू पर ए. के. सिंह, निदेशक (वित्त), एसजेवीएन और राकेश चोपड़ा, प्रबंध निदेशक, आरईआईएल ने हस्ताक्षर किए। इस अवसर पर आर.के. गुप्ता, मुख्य महाप्रबंधक, बीडीई और एसजेवीएन एवं आरईआईएल के अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित थे।
एसजेवीएन के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक नन्द लाल शर्मा ने बताया कि हस्ताक्षरित एमओयू के तहत, एसजेवीएन उपयुक्त स्थानों पर सौर ऊर्जा परियोजनाओं का विकास करेगा और सौर ऊर्जा परियोजनाओं के क्षेत्र में विशेषज्ञता रखने वाली आरईआईएल, सौर ऊर्जा संयंत्रों के कार्यान्वयन के दौरान अवार्ड के बाद परियोजना प्रबंधन परामर्शी सेवाओं में एसजेवीएन की सहायता करेगी।
उन्होंने कहा कि एसजेवीएन के पास 16422 मेगावाट क्षमता की 41 परियोजनाओं का एक पोर्टफोलियो है और प्रतिस्पर्धी बोली प्रक्रिया के माध्यम से पहले ही 1670 मेगावाट सौर ऊर्जा क्षमता हासिल कर चुका है। कंपनी ने वित्त वर्ष 2023 में 8,000 करोड़ रुपए के कैपेक्स का लक्ष्य रखा है। एसजेवीएन अपनी क्षमता विस्तार के वित्तपोषणार्थ अन्य परियोजनाओं से ऋण मुक्त नकदी प्रवाह, बांड मार्किट, ईसीबी आदि जैसे विभिन्न स्रोतों पर निर्भर करेगा।
एसजेवीएन की भारत में हिमाचल प्रदेश, बिहार, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, गुजरात, राजस्थान, पंजाब, अरुणाचल प्रदेश और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नेपाल और भूटान राज्यों में उपस्थिति है।
गौर हो कि हाल ही में संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन (सीओपी 26) में प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने वर्ष 2030 तक 500 गीगावॉट नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन की भारत की प्रतिबद्धता को दोहराया था। एसजेवीएन ने अपने लक्ष्यों को भारत सरकार द्वारा निर्धारित लक्ष्य के अनुरूप वर्ष 2023 तक 5000 मेगावाट, 2030 तक 25000 मेगावाट और 2040 तक 50000 मेगावाट की क्षमतागत वृद्धि के साझा विजन को संरेखित किया है। वर्ष 2030 तक 25000 मेगावाट क्षमता हासिल करने के लिए, 15,000-18,000 मेगावाट सौर ऊर्जा से और शेष 8,000-10,000 मेगावाट हाइड्रो, थर्मल और पवन ऊर्जा से आएगा।