शिमला
राज्य सरकार किसानों को एक ही छत के नीचे विभिन्न सेवाएं उपलब्ध करवाने के लिए प्राथमिक कृषि सहकारी समितियों को नाबार्ड के सहयोग से बहुउद्देश्य सेवा केंद्र बनाने पर विचार कर रही है। मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर ने मंगलवार को सहकारिता विभाग की समीक्षा बैठक की अध्यक्षता करते हुए यह बात कही।
मुख्यमंत्री ने कहा कि सहकारिता आंदोलन को जन आंदोलन बनाना महत्वपूर्ण है क्योंकि इस क्षेत्र में रोज़गार और स्वरोज़गार की अपार संभावनाएं हैं। सहकारिता आंदोलन का ज़मीनी स्तर पर विस्तार होना चाहिए ताकि यह ग्रामीण लोगों तक पहुंच सके। उन्होंने कहा कि वर्तमान में राज्य में 4,843 सहकारी सभाएं कार्य कर रही हैं जिनमें 17.35 लाख सदस्य हैं।
जय राम ठाकुर ने कहा कि राज्य में 2,132 प्राथमिक कृषि सहकारी समितियां कार्य कर रही हैं जिनके सदस्यों की संख्या 12.56 लाख और कुल जमा राशि 5401.96 करोड़ रुपये है। इन समितियों में 1914 उचित मूल्य की दुकानें व 1374 खाद के डिपो शामिल हैं। उन्होंने कहा कि इन समितियों को सुदृढ़ करने के प्रयास किए जाने चाहिए ताकि राज्य के किसान लाभान्वित हो सकें।
मुख्यमंत्री ने कहा कि सोलन व मंडी ज़िलों में क्रमशः 73.15 करोड़ रुपये और 89.58 करोड़ रुपये की ब्लाक लागत से दो आईसीडीपी परियोजनाएं लागू की जा रही हैं। मंडी ज़िले की परियोजना को हिमाचल प्रदेश राज्य सहकारी बैंक द्वारा लागू किया जा रहा है। इस योजना के प्रथम वर्ष के कुल व्यय में से 33.64 करोड़ रुपये तथा 164 सहकारी समितियों को व्यापार विकास के लिए 12.40 करोड़ रुपये स्क्रीनिंग कमेटी द्वारा स्वीकृत किये गये हैं। सोलन ज़िले की आईसीडीपी परियोजना जोगिन्द्रा केंद्रीय सहकारी बैंक सोलन द्वारा लागू की जा रही है। प्रथम वर्ष के 23.47 करोड़ रुपये के कुल बजट में से 14 करोड़ रुपये का उपयोग किया जा चुका है। उन्होंने कहा कि विभिन्न सहकारी समितियों के व्यापार विकास के लिए स्क्रीनिंग कमेटी द्वारा 37 मामलों को स्वीकृति प्रदान की गई है। 46.47 करोड़ रुपये की ब्लाक लागत से ऊना ज़िला के लिए आईसीडीपी परियोजना की विस्तृत परियोजना रिपोर्ट राष्ट्रीय सहकारिता विकास कमेटी की स्वीकृति के लिये भेजी गई है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार हिमाचल प्रदेश सहकारी समिति एक्ट, 1968 को वर्तमान परिप्रेक्ष्य में अधिक व्यावहारिक बनाने के लिए इस कानून में संशोधन करने के लिये कैबिनेट मंत्रियों की समिति बनाने पर विचार कर रही है। उन्होंने गैर-निष्पादित संपत्ति (एनपीए) विशेषकर कांगड़ा केन्द्रीय सहकारी बैंक पर भी चिंता व्यक्त की।
सहकारिता मंत्री डा. राजीव सैजल ने सहकारिता आन्दोलन को सुदृढ़ बनाने में अपनी गहरी रुचि दिखाने के लिए मुख्यमंत्री का धन्यवाद किया। इस बैठक में मुख्य सचिव अनिल खाची, प्रधान सचिव वित्त प्रबोध सक्सेना, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव जे.सी. शर्मा, सचिव सहकारिता अक्षय सूद, पंजीयक सहकारिता समिति डा अजय शर्मा और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों ने भाग लिया।