डीसी के माध्यम से मुख्यमंत्री को भेजा मांग पत्र
शिमला।
भूमि अधिग्रहण प्रभावित मंच शिमला का एक प्रतिनिधि मंडल किसान सभा राज्य अध्यक्ष डॉ कुलदीप सिंह तंवर की अध्यक्षता में डीसी शिमला से मिला। प्रतिनिधिमंडल ने डीसी के माध्यम से एक मांग पत्र मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर को भेजा, जिसमें भूमि अधिग्रहण कानून 2013 को लागु करने की मांग की गई।
इसके अलावा प्रदेश भर से विभिन्न जिला मंच के सह संयोजकों जिसमेें सोलन से बी एस मेहता, बिलासपुर से मदन शर्मा, काँगड़ा से राजेश पठानिया व कुल्लू से नरेश कुकू ने जिला स्तर पर अपने-अपने जिलाधीशों के माध्यम से एक मांग पत्र जयराम ठाकुर को भेजा ।
भूमि अधिग्रहण प्रभावित मंच के शिमला जिला संजोयक परमानंद शर्मा ने कहा की हिमाचल प्रदेश में पिछले वर्षों से राष्ट्रीय उच्च मार्ग प्राधिकरण द्वारा विभिन्न फोरलेन सड़कें बनाई जा रही हैं जिसमें मुख्यतः परवाणू-शिमला, किरतपुर- मनाली, मटोर-शिमला, पठानकोट-मंडी , पिंजौर-नालागढ़ , हमीरपुर–कोटली-मंडी आदि मार्ग शामिल हैं। इसके अतिरिक्त लगभग 63 नए राष्ट्रीय उच्च मार्ग बनाने हेतु परियोजनाओं के प्रारूप तैयार किये जा रहे हैं। रेलवे लाइन बिछाने के लिए भानुपल्ली से बिलासपुर–लेह एवं चंडीगढ़-बद्दी रेल लाइन के लिए भी भूमि अधिग्रहण की जा रही है तथा एअरपोर्ट निर्माण एवं विस्तार हेतु भी भूमि अधिग्रहण का प्रस्ताव है। बिजली निर्माण हेतु बांध/ टावर लाइन बिछाने के लिए भी जमीन का अधिग्रहण किया गया है या किया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि उपरोक्त परियोजनाओं से भूमि अधिग्रहण, 2013 कानून (पुनर्स्थापना, पुनर्वास व चार गुना मुआबजा) को हिमाचल सरकार पूर्णतः लागू नहीं कर रही है। उन्होंने हेरानी व्यक्त की कि पिछले 3 बर्ष बीत जाने के बाबजूद भी सरकार अभी तक इस पर कोई फैसला नहीं ले पाई है और कानून को लागू करने में आना-कानी कर रही है।
किसान सभा राज्य अध्यक्ष डॉ कुलदीप सिंह तंवर ने कहा कि मांग पत्र में पुनर्स्थापना, पुनर्वास तथा भूमि अधिग्रहण, 2013 के अनुसार फैक्टर-2 (चार गुना मुआबजा) को फोर लेन व रेलवे लाइन में लागू करने व नये प्रोजेक्ट्स के लिए स्थान का चयन तकनीकी आधार पर सोशल इम्पैक्ट सर्वे के पश्चात ही करने की मांग की गई है। इसमें मांग की गई कि गैर कृषि भूमि व जहां पर न्यूनतम विस्थापन हो ऐसी साइट को वरीयता दी जाए, स्थानीय जनता के इज़मेंट राइट्स को सुनिश्चित किया जाए, मार्केट रेट के अनुसार मुआवजा दिया जाए, मुआवजे का भुगतान अतिशीघ्र किया जाये। प्रस्तावित सड़क के बाहर परियोजना से प्रभावित मकानों, जमीन व बगीचे का नुकसान का मुआवजा दिया जाये, रोड़ प्लान के अनुसार भूमि अधिग्रहण किया जाये तथा मिट्टी डम्पिंग के स्थान तय किये जाये व पहाड की तरफ स्टेप कटिंग की जाये, भूमि की निशानदेही कर पक्की बुरजियाँ लगाई जाएं, 5 मीटर कंट्रोल विड्थ व 3 मीटर टीसीपी योजना से निरस्त किया जाये, उच्च न्यायलय व मंडलीय न्यायलय में लंबित जमीन अधिग्रहण के मामलों की निर्धारित समय सीमा में सुनवाई कि जाये व स्थानीय लोगो को सभी परियोजनायों में 70% रोजगार सुनिश्चित किया जाये। इसके अलावा जिला स्तर पर समस्याओं के निवारण व परियोजना कार्यान्वयन हेतु सयुंक्त समिति गठित कि जाये, जो उचित निर्णय ले सके। भूमि अधिग्रहण प्रभावित मंच ने मांग की कि उपरोक्त मुद्दों को सरकार जल्दी से सुलझाए अन्यथा अक्टूबर माह में भूमि अधिग्रहण प्रभावित मंच, राज्य/जिला स्तरीय आन्दोलन करेगा जिसकी पूरी जिम्मेदारी राज्य, केंद्र सरकार व राष्ट्रीयउच्च मार्ग के अधिकारियों की होगी।