शिमला।
न्यू पेंशन स्कीम कर्मचारी महासंघ ने मांग की है की सेवाएं देते हुए मरने वाले कर्मचारियों के परिवार वालों को पारिवारिक पेंशन की सुविधा दी जाए। हिमाचल में 15 मई 2003 को नई पेंशन योजना को लागू किया गया था। इस योजना की सबसे बड़ी खामी थी कर्मचारी के दिव्यांग एवं दिवंगत होने के उपरांत भी उनके परिवार को पारिवारिक पेंशन की कोई सुविधा ना होना जबकि केंद्र सरकार एवं अन्य राज्य यह सुविधा अपने कर्मचारियों को प्रदान कर रहे हैं। एनपीएस कर्मचारी महासंघ ने एलआईसी से समन्वय स्थापित कर ग्रुप इंश्योरेंस योजना को लिया था, जिसमें संगठन के 5000 कर्मचारी पंजीकृत हुए। पूरे वर्ष में इनमें से 12 कर्मचारियों की मृत्यु हुई। योजना में पंजीकृत होने के कारण इनके परिवार को संगठन द्वारा पांच ₹500000 के चेक प्रदान किए गए हैं । अधिकतर कर्मचारी वैश्विक महामारी के इस दौर में अपनी सेवाएं देते हुए मृत्यु को प्राप्त हो रहे हैं। एनपीएस कर्मचारी की मृत्यु के बाद उनका परिवार दर-दर की ठोकरें खाने को मजबूर हो रहा है क्योंकि उनके परिवार के लिए एनपीएस योजना में पारिवारिक पेंशन का प्रावधान नहीं है। वहीं सरकार की तरफ से हमेशा केंद्रीय अधिसूचना को जल्द हिमाचल प्रदेश में लागू करने के आश्वासन मिलते हैं पर 12 वर्ष उपरांत भी यह अधिसूचना लागू नहीं हो पाई है
महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष प्रदीप ठाकुर ने कहा कि कि
हिमाचल प्रदेश सरकार राज्य के एक लाख 20 हजार एनपीएस कर्मचारियों को 22 जुलाई को होने वाली बैठक से उम्मीद है कि सरकार इस बारे में फैसला लेगी। उन्होंने कहा कि पिछले काफी समय से न्यू पेंशन स्कीम कर्मचारी महासंघ पुरानी पेंशन बहाली की मांग कर रहा है और सरकार हमेशा केंद्र का मामला बताकर अपना पल्ला झाड़ रही है । मगर बार-बार एनपीएस कर्मचारियों द्वारा आग्रह किया गया कि कम से कम इस वैश्विक महामारी के समय में 2009 अधिसूचना तो जारी कर दी जाए ताकि सेवाएं देते हुए मृत्यु को प्राप्त होने वाले कर्मचारियों के परिवार को पारिवारिक पेंशन प्रदान की जाए। प्रदेश अध्यक्ष प्रदीप ठाकुर ने बताया इस विषय में राज्यपाल, मुख्यमंत्री ,मुख्य सचिव महोदय और वित्त सचिव महोदय से अनेकों बार एनपीएस कर्मचारी संघ प्रतिनिधिमंडल मिला है। अभी हाल ही मुख्यमंत्री ने पत्र के माध्यम से आश्वस्त करवाया और बताया कि 2009 अधिसूचना पर फाइनेंशियल implication बारे वित विभाग को निर्देश दे दिए गए हैं।
हिमाचल प्रदेश के सभी विधायकों, माननीय सांसदों से इस विषय पर अनेकों बार बातचीत हुई है उन्होंने भी इस विषय को गंभीर मानते हुए अधिसूचना लागू करने की बात कही है। ऐसे में उम्मीद है कि सरकार इस मुद्दे पर कोई फैसला जल्द लेगी।