शिमला
मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू की प्रदेश सरकार ग्रामीण अर्थ-व्यवस्था को सुदृढ़ करने के लिए कदम उठा रही है. प्रदेश की लगभग 90 प्रतिशत आबादी ग्रामीण क्षेत्रों में रहती है। इन क्षेत्रों के लिए बेहतर अधोसंरचना निर्मित करने तथा ग्रामीण अर्थ-व्यवस्था को मजबूत करने के लिए प्रदेश सरकार ने इस महत्वपूर्ण क्षेत्र के लिए एक हजार करोड़ रुपये का प्रावधान करने का निर्णय लिया है।
ग्रामीण अर्थ-व्यवस्था का मुख्य स्रोत पशुपालन है। प्रदेश सरकार पशु पालकों से 80 रुपये प्रति लीटर गाय का दूध और 100 रुपये की दर से भैंस का दूध खरीदेगी। प्रदेश सरकार के इस निर्णय से राज्य के किसानों को प्रतिमाह 24 से 30 हजार रुपये तक की आमदनी होगी। इससे न केवल किसान पशु पालन अपनाने के लिए प्रेरित होंगे बल्कि प्रदेश के युवाओं के लिए स्वरोजगार के बेहतर अवसर भी प्राप्त होंगे।
पशु पालकों को लाभान्वित करने के उद्देश्य से प्रदेश सरकार दो रुपये प्रति किलोग्राम की दर से गाय का गोबर खरीदने पर विचार कर रही है। इससे किसानों की आर्थिकी सुदृढ़ होगी और लोग प्राकृतिक खेती को अपनाने के लिए प्रेरित होंगे। मुख्यमंत्री के इन निर्णयों ने यह सिद्ध किया है कि वर्तमान प्रदेश सरकार सत्ता के लिए नहीं, बल्कि व्यवस्था परिवर्तन के ध्येय के साथ कार्य कर रही है। इसके लिए प्रदेश के लोगों की सक्रिय भागीदारी भी अपेक्षित है। प्रदेशवासियों की सक्रिय भागीदारी और सहयोग से ही प्रदेश की आर्थिक स्थिति को पुनः पटरी पर लाया जा सकता है।
जरूरतमंद एवं कमजोर लोगों का संबल बनीं प्रदेश सरकार की कल्याणकारी योजनाएं
मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू ने प्रदेश की बागडोर संभालने के साथ ही यह स्पष्ट कर दिया था कि पूरा प्रदेश एक कुटुंब के समान है और हिमाचल को देश का विकसित राज्य बनाने के ध्येय को हासिल करने के लिए प्रदेश सरकार कटिबद्ध है।
मुख्यमंत्री ने अपने निर्णयों से यह साबित किया है कि सुख की सरकार निराश्रित महिलाओं, बच्चों और समाज के कमजोर वर्गों की माता-पिता है। ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू सत्तासीन होने के पहले दिन से ही समाज के कमजोर वर्गों के उत्थान की दिशा में कार्य कर रहे हैं। अनाथ बच्चों की देख-भाल के लिए आयु को बढ़ाकर 27 वर्ष करने का निर्णय भी इस दिशा में किया गया सार्थक प्रयास है।
ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू ने अनाथ बच्चों को घर निर्मित करने के लिए चार विस्वा भूमि प्रदान करने का भी निर्णय लिया है। प्रदेश सरकार उनकी उच्च शिक्षा का व्यय भी वहन करेगी। सरकार के यह निर्णय जरूरतमंद और कमजोर लोगों को सहारा प्रदान करने में दूरगामी भूमिका निभाएंगे।
हरित ऊर्जा राज्य बनाने की दिशा में सरकार के बहुआयामी प्रयास
प्रदेश सरकार हिमाचल प्रदेश को वर्ष 2025 तक हरित ऊर्जा राज्य बनाने के लिए दृढ़ता से कार्य कर रही है। मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू ने विश्व बैंक की टीम के साथ प्रदेश के ग्रीन एजेंडा और विश्व बैंक के सहयोग के साथ इस लक्ष्य को हासिल करने की दिशा में किए जाने वाले उपायों पर विस्तृत चर्चा की है।
प्रदेश सरकार कार्बन उत्सर्जन में कमी लाकर प्रदेश को पहला प्रदूषण रहित राज्य बनाने के लिए प्रयासरत है। यह मुख्यमंत्री के प्रयासों से ही संभव हो पाया है कि वल्र्ड बैंक ने ग्रीन रेसिलिएन्ट इंटिग्रेटिड डवल्पमेंट में रुचि दिखाई है। इसकी अनुमानित लागत 2500 करोड़ रुपये है तथा यह राशि तकनीकी समीक्षा के आधार पर बढ़ाई भी जा सकती है।
प्रदेश सरकार का यह निर्णय राज्य को ग्रीन रेसिलिएन्ट प्रदेश के रूप में स्थापित करने में सहायक सिद्ध होगा। प्रदेश सरकार ने आगामी नौ महीनों में प्रदेश में 200 मेगावाट क्षमता की सोलर पावर परियोजनाओं को स्थापित करने का लक्ष्य निर्धारित किया है और वर्ष 2024 के अंत तक 500 मेगावाट क्षमता के सौर ऊर्जा संयंत्र स्थापित करने के लिए प्रदेश में भूमि अधिग्रहण कर लिया जाएगा। इसके अतिरिक्त मुख्यमंत्री ने यह स्पष्ट किया है कि प्रदेश सरकार राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन ऊर्जा मिशन की तर्ज पर प्रदेश में वृहद् स्तर पर उत्पादन से लेकर उपयोग तक कार्यप्रणाली पर कार्य करने के लिए प्रयासरत है।