मुख्य निर्वाचन अधिकारी मनीष गर्ग ने आज यहां बताया कि भारत निर्वाचन आयोग के निर्देशों की अनुपालना में निर्वाचन विभाग ने इन विधानसभा चुनावों के दौरान दिव्यांगजन मतदाताओं के लिए फार्म 12-डी और डाक मतपत्र प्रदान करने सहित अन्य सुविधाओं का प्रावधान सुनिश्चित किया था।
मनीष गर्ग ने बताया कि 40 प्रतिशत से अधिक शारीरिक दिव्यांगता वाले 6882 दिव्यांगजन मतदाताओं को डाक मतपत्र जारी किए गए थे जिनमें से 6426 ने निर्वाचन विभाग द्वारा तैनात की गई विशेष टीमों के माध्यम से अपने घरों से मतदान किया।
सोलन जिला की अर्की विधानसभा क्षेत्र के बांजण गांव के पवन कुमार (34) एक ऐसे दिव्यांग मतदाता हैं जिन्होंने स्वंय निकटतम मतदान केन्द्र पर जाकर अपना मत डाला। पवन कुमार अर्की तहसील के जिले के मांगू के सरस्वती विद्या मंदिर में कंप्यूटर शिक्षक हैं। पवन ने बताया कि यद्यपि निर्वाचन विभाग ने दिव्यांगजन मतदाताओं के लिए घर से मतदान करने की व्यवस्था की थी लेकिन उन्होंने अपनी दिव्यांगता को दरकिनार करते हुए स्वंय मतदान केंद्र पर पहुॅंचकर अपने मताधिकार का प्रयोग किया, जिसके लिए वह गर्व महसूस करते हैं। पवन कुमार ने बताया कि उन्हें अधिकारियों द्वारा व्हील चेयर की पेशकश की गई थी, लेकिन उन्होंने इस सुविधा के बिना ही मतदान करने का निर्णय लिया। पवन कुमार का कहना है कि वह अपने जैसे अन्य मतदाताओं को प्रेरित कर जहां चाह वहां राह का सन्देश देना चाहते हैं।
इसी प्रकार पच्छाद विधानसभा क्षेत्र के बाग पशोग पंचायत के सेर-भराल गांव के ओम प्रकाश (50) जो चल-फिरने में पूरी तरह असमर्थ हैं, ने 11 साल की अवधि के बाद डाक मतपत्र के माध्यम से मतदान किया। ओम प्रकाश कहते हैं कि निर्वाचन आयोग की नई पहल के कारण राज्य में पहली बार डाक मतपत्रों के माध्यम से विशेष श्रेणी के मतदाताओं को चुनाव प्रक्रिया में शामिल किया गया। उन्होंने चुनाव प्रक्रिया में भाग लेने तथा मतदान के लिए प्रेरित करने के लिए मुख्य निर्वाचन अधिकारी मनीष गर्ग का आभार व्यक्त किया।
हिमाचल प्रदेश में 80 वर्ष से अधिक आयुवर्ग, दिव्यांगजन तथा अनिवार्य सेवाओं के मतदाताओं के लिए फार्म-12 डी जारी करने जैसी सुविधाओं केे उत्साहजनक परिणाम सामने आए हैं।