देश में भंडारण की कमी से हर साल 12 करोड़ टन अन्न बर्बाद


मानवाधिकार जागरूकता पर उमंग फाउंडेशन के वेबिनार में बोले डॉ सोमदेव शर्मा




बागवानी विश्वविद्यालय सोलन के प्रोफेसर एवं प्रधान वैज्ञानिक तथा भारतीय किसान संघ के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. सोमदेव शर्मा ने कहा है कि भंडारण सुविधाओं के अभाव में हर वर्ष करीब 12 करोड़ टन अनाज बर्बाद हो जाता है। इसे बचाना एक बड़ी चुनौती है। उन्होंने बताया कि केंद्र सरकार हर वर्ष 7 करोड़ 59 लाख टन अनाज गरीबों को मुफ्त बाँटती है।

डॉ सोमदेव शर्मा मानवाधिकार जागरूकता पर उमंग फाउंडेशन के 31वें सप्ताहिक वेबिनार में बोल रहे थे। उन्होंने “खाद्य सुरक्षा कानून और किसानों के अधिकार” विषय पर युवाओं के साथ खुलकर चर्चा की। उन्होंने कहा कि देश में 30 करोड़ टन अनाज का उत्पादन हर वर्ष होता है। लेकिन भंडारण और रखरखाव की उचित सुविधाओं के अभाव में इसका 30 से 40% हिस्सा नष्ट हो जाता है।

कार्यक्रम के संयोजक एवं उमंग फाउंडेशन के ट्रस्टी विनोद योगाचार्य ने बताया कि गूगल मीट पर हुए कार्यक्रम में बड़ी संख्या में युवाओं ने हिस्सा लिया। उमंग फाउंडेशन के अध्यक्ष प्रो. अजय श्रीवास्तव ने कहा कि युवाओं को इस बारे में संवेदनशील बढ़ाने की जरूरत है।

खाद्य सुरक्षा कानून के बारे में डॉ सोमदेव शर्मा ने बताया इसके अंतर्गत 7 करोड़ 59 लाख टन अनाज गरीबों को मुफ्त उपलब्ध कराया जा रहा है। उन्होंने कहा कि संविधान में वर्णित मौलिक अधिकारों में खाद्य सुरक्षा का अधिकार शामिल नहीं था। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने जीवन जीने के अधिकार के साथ इसे जोड़ दिया। केंद्र सरकार ने 9 वर्ष पूर्व इस बारे कानून बनाया।

उन्होंने कहा कि भूख से लोगों को मरने से बचाना सरकार का संवैधानिक दायित्व है। इसलिए देश के 75% ग्रामीण और 50% शहरी क्षेत्रों में अंत्योदय योजना चल रही है। करीब 80 करोड़ लोगों को निशुल्क राशन दिया जा रहा है। इसके अतिरिक्त समेकित बाल विकास योजना एवं ऐसी ही अन्य योजनाओं के अंतर्गत बच्चों और माताओं को कुपोषण से बचाने के प्रबंध भी किए गए हैं। 

योजनाओं के क्रियान्वयन में पारदर्शिता रखने के लिए राष्ट्रीय, राज्य और जिला स्तर पर शिकायत निवारण तंत्र भी बनाया गया है। उन्होंने कहा एक राष्ट्र एक राशन कार्ड का  सबसे ज्यादा लाभ प्रवासी मजदूरों को होता है। 

डॉ सोमदेव शर्मा ने कहा कि स्थानीय फसलों को प्रोत्साहन देने की जरूरत है क्योंकि उनमें कृत्रिम रूप से पौष्टिक तत्व मिलाने की जरूरत नहीं पड़ती। इसी तरह लगातार एक ही प्रकार की उपज लेना भी सही नहीं है। इसमें विविधता लानी चाहिए। उन्होंने युवाओं के सवालों के जवाब भी दिए।

उन्होंने किसानों के अधिकारों के बारे में कहा की बहुराष्ट्रीय कंपनियां बीज पर कब्जा करके किसानों को गुलाम बनाना चाहती हैं। इसके लिए किसानों को जागरूक करने की आवश्यकता है। कार्यक्रम के संचालन में संजीव शर्मा, इतिका चौहान, मुकेश कुमार, उदय वर्मा और संजीव भागड़ा ने सहयोग दिया।

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