वेतन विसंगतियां पूर्व सरकार के समय की, तब नहीं किया विरोध

शिमला

हिमाचल अराजपत्रित कर्मचारी महासंघ ने वेतन विसंगतियां को लेकर आंदोलन करने वाले हिमाचल प्रदेश संयुक्त कर्मचारी संघ पर तीखा हमला किया है। अश्वनी ठाकुर की अध्यक्षता वाले महासंघ ने कहा कि 4-9-14, पे राइडर्स वेतन जैसी विसंगतियां पूर्व कांग्रेस सरकार की देन है।
महासंघ के जिला शिमला के अध्यक्ष गोपाल झिलटा ने शिमला में एक प्रैस कांग्रेस में कहा कि कुछ स्वयं कर्मचारी नेता आज इन मुद्दों का लेकर आंदोलन कर कर्मचारियों को गुमराह कर रहे हैं। उन्होंने किया कि जब ये विसंगतियां पैदा हुई थीं। उन्होंने कहा कि ये सारी विसंगतियां पूर्व कांग्रेस के समय में की है। लेकिन तब ये तथाकथित नेता कहां थे। उन्होंने कहा कि
27 नंबर 2021 को जेसीसी 62 सूत्रीय मांग पत्र पर सरकार ने कर्मचारियों के लिए कई अहम फैसले लिए हैं। जेसीसी के माध्यम से संशोधित वेतनमान के मसले को सरकार के सामने रखा। सत्कार ने भी कर्मचारियों के लिए 2016 से नया वेतनमान जारी कर एक बड़ी राहत दी। सरकार ने इसमें पहले
2.25 और 2.59 का ऑप्शन दिया। अब तीसरा ऑप्शन 15 फीसदी का भी दिया है, जिससे हिमाचल के 40 से 50 हजार कर्मचारियों को फायदा हुआ है। मई 2009 की नोटिफिकेशन जारी की है।
उन्होंने कहा कि सरकार ने कर्मचारियों के हित में कई अहम फैसले लिए हैं सरकार ने कॉन्टैक्ट पीरियड तीन से दो साल और
दैनिक भोगी कर्मचारियों को नियमित करने की अवधि पांच से चार साल करने का बड़ा फ़ैसला किया है।
पहले दस साल में सीनियर असिस्टेंट बनने में लग जाते थे, जयराम सरकार ने इसे घटाकर 7 साल किया है।
सरकार ने 31 फीसदी डीए जारी करने के साथ ही पेंशनर्स को नया पेंशन जारी कर कर्मचारी हितैषी होने का परिचय दिया है।
पुलिस कांस्टेबल का पे बैंड की अवधि 8 साल से पांच साल करवाने का भी बड़ा कदम उठाया है।

महासंघ के जिला महासचिव विनोद शर्मा ने कहा कि महासंघ राइडर्स के लिए कार्य कर रहा है। उन्होंने कहा महासंघ ओल्ड पेंशन बहाल करने की दिशा में प्रयासरत है। उनका महासंघ कर्मचारियों के लंबित मुद्दों को लगातार उठा रहा है।
उन्होंने कहा की जयराम सरकार ने पूर्व सरकार की तरह कर्मचारियों का उत्पीड़न नहीं किया। जबकि कुछ शरारती तत्व और स्वयं भू नेता कर्मचारियों को गुमराह करने का काम कर रहे हैं और
कुछ कर्मचारियों में भ्रांति फैला रहे हैं। ये सरकार के खिलाफ बोल रहे हैं जबकि कांग्रेस सरकार के समय में वे कर्मचारियों के मुद्दो को उठाने में नाकाम रहे। अश्विनी ठाकुर को महासंघ का अध्यक्ष बनाने के सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि एनजीओ को मान्यता देने का अधिकार सरकार के पास है।

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