कोर्ट के आदेशों को नहीं मान रहे अधिकारी, जेओए आईटी के अभ्यर्थियों ने लगाया आरोप

सरकार को जेओए आईटी पोस्ट कोड 556 की मैरिट लिस्ट रिवाइज करने के हैं आदेश
शिमला

जूनियर ऑफिस असिस्टेंट आईटी (जेओए आईटी पोस्ट कोड 556 ) के रिजेक्टेड अभ्यर्थियों ने आरोप लगाया कि अधिकारी उनके केस में कोर्ट के फैसले को मानने के लिए तैयार नहीं है।
अभ्यार्थी एवम पेटीशनर सुशील चौहान , शशि, विवेक, राजीव, भीमेंदर, पंकज, जनेश सुशील चौहान आज शिमला में मीडिया के सामने आए। इससे पहले बीते दिन ये अभर्थी मुख्य सचिव और अन्य अधिकारियों से मिले थे।

जूनियर ऑफिस असिस्टेंट आईटी के अभ्यर्थियों ने सरकार की कार्यप्रणाली पर उठाए सवाल और कहा कि सीएम के आश्वासन के बाद कोर्ट के आदेशों को मुख्य सचिव नहीं मान रहे।
उन्होंने आरोप लगाए
बीते कल मुख्य सचिव और पर्सनल सचिव से इस मामले पर की थी बात
लेकिन मुख्य सचिव ने आदेशों को मानने से इंकार कर दिया। इस मामले में चार साल बाद कोर्ट का फैसला रिजेक्टेड अभ्यर्थियों के पक्ष में आया है।
मेरिट सूची में अव्वल रहने के बाद भी उनको नौकरी नहीं मिली। पोस्ट कोड 556 के करीब 2400 जेओआईटी अभ्यर्थी इस परीक्षा से बाहर हो गए थे। न्याय की गुहार लगाते 556 JOA के रिजेक्टेड अभ्यर्थियों के पक्ष में कोर्ट का फैसला हाल ही में आया है। अभ्यार्थियों के अनुसार कोर्ट ने 1156 पोस्टों पर रिजल्ट रिवाइज करने के निर्देश दिए हैं।

2016 में शुरू हुई थी भर्ती

JOA 556 की भर्ती 2016 में निकली थी। इसमें 1156 पोस्ट पर भर्ती होनी थी। 2017 में लिखित परीक्षा समाप्त होने के पश्चात टाइपिंग टेस्ट और डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन की प्रकिया 2018 तक पूरी हो चुकी थी। अभ्यार्थियों को फाइनल रिजल्ट का इंतजार ही था कि ये भर्ती कोर्ट में जाकर चैलेंज हो गई और आर एंड पी नियमों में अस्पष्टता के कारण 2400 अभ्यार्थियों को रिजल्ट से ऐन पहले अपात्र घोषित कर बाहर कर दिया और सिर्फ 625 पोस्ट पर परिणाम घोषित कर दिया गया।

अभर्थियों के मुताबिक इससे पहले JOA IT पोस्ट कोड 447 में भी समान आर एंड पी रूल्स पर भर्ती हुई थी और वहां पर समान डिप्लोमा डिग्री वालों को नौकरी दी गई। इस तरह कोड 556 में बाहर होने वालों में निजी संस्थानों के डिप्लोमा कोर्स वाले अभ्यार्थी एवम् उच्च शिक्षा प्राप्त अभ्यार्थी थे। निजी संस्थानों से डिप्लोमा कोर्स करने वाले अभ्यर्थियों की अर्जी उच्च न्यायालय की सिंगल बेंच ने मंजूर की और रिजल्ट में उन्हें भी शामिल करने के निर्देश दिए। मगर सरकार ने सिंगल बेंच के आदेशों के खिलाफ फिर से हाईकोर्ट में अपील की। कोर्ट की डबल बेंच ने अपील खारिज कर, अभ्यार्थियों के पक्ष में फैसला सुनाया और पूरे रिजल्ट को 1156 पोस्टों पर रिवाइज कर जल्द से जल्द घोषित करने के निर्देश दिए ।
अभ्यार्थियों का का कहना है कि कोर्ट से न्याय मिलने के बाद सरकार से जल्द से जल्द 1156 पोस्ट पर रिजल्ट घोषित करने की मांग को लेकर सचिवालय गए तो मुख्य सचिव का रवैया नकारात्मक रहा।

अभ्यर्थियों ने मुख्यमंत्री से हस्तक्षेप कर उनके अधिकार दिलाने और उनके मेरिट के साथ न्याय करने की मांग की है।

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