युवाओं को इसके बारे में जागरूक करने की है आवश्यकता
शिमला
दिल के दौरे को हमेशा से ही वृद्ध व्यक्तियों से जुड़ी एक समस्या के रूप में माना जाता रहा है। हालांकि, हाल के आंकड़े बताते हैं कि 25 से 30 आयु वर्ग के युवाओं में भी दिल के दौरों के मामलों में वृद्धि हुई है। समय की मांग है कि दौरे के जोखिम कारकों के बारे में जागरूकता बढ़ाई जाए, साथ ही साथ जीवनशैली में ऐसे बदलाव किये जाए जो कि दिल के दौरे को रोकने के लिए आवश्यक है। दिल का दौरा तब पड़ता है जब हृदय वाहिकाओं में रक्त का प्रवाह ठीक से नहीं हो पाता है यानि कि अवरुद्ध हो जाता है। इस रुकावट का एक प्रमुख कारण कोलेस्ट्रॉल का जमा होना है। आज युवाओं में बढ़ते दिल के दौरे के जोखिम कारकों में खराब आहार और खराब जीवनशैली भी शामिल है।
इस बारे में बात करते हुए, डॉ अंकुर आहूजा, सीनियर कंसल्टेंट, कार्डियोलॉजी, फोर्टिस हॉस्पिटल, मोहाली कहते हैं, “जिन युवा वयस्कों को दिल का दौरा पड़ता है उनके या तो मोटे होने की संभावना अधिक होती है या वह मधुमेह या रक्तचाप जैसी सहवर्त बीमारियों से जूझ रहे होते हैं। पारिवारिक इतिहास के अलावा, जो युवा वयस्क नियमित रूप से धूम्रपान करते हैं या नशीली दवाओं का सेवन करते हैं, उन्हें भी दिल का दौरा पड़ने का खतरा होता है। व्यस्त जीवन शैली, लूमिंग डेडलाइन और अनिश्चित काम के घंटों से तनाव बढ़ता है, जिससे दिल का दौरा पड़ने कि संभवना बढ़ती है। हाल ही में, वायु प्रदूषण भी एक बड़े कारक के रूप में उभर रहा है जिससे युवा वयस्कों में दिल का दौरा पड़ रहा है। ऐसा इसलिए है क्योंकि युवा व्यस्क, वृद्ध व्यक्तियों की तुलना में वायु प्रदुषण के ज्यादा संपर्क में रहते हैं।”
डॉ अंकुर आहूजा आगे कहते हैं, “विशेष रूप से गर्भावस्था के दौरान युवा महिलाएं सहज कोरोनरी धमनी विच्छेदन (एससीएडी)से जूझ सकती है, हालांकि यह दुर्लभ है। यह समस्या दिल के दौरे के रूप में सामने आ सकती है। इसलिए कम उम्र से ही एक स्वस्थ जीवन शैली का पालन करने और यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि परिहार्य जोखिम कारकों का प्रबन्धन किया जाए। ”
दिल के दौरे का इलाज आमतौर पर सभी वयस्कों में समान होता है और दवाएं समान रूप से प्रभावशाली होती हैं। सबसे आम उपचार कोरोनरी एंजियोप्लास्टी है। इस प्रक्रिया में, इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजिस्ट धमनी के संकुचित हिस्से में एक लंबी, पतली ट्यूब (कैथेटर) को डाला जाता है। एक पतले तार की जाली (स्टेंट) को डिफ्लेटेड बैलून पर लगाया जाता है और फिर कैथेटर के माध्यम से संकुचित क्षेत्र में भेजा जाता है। इसके बाद गुब्बारा फुलाया जाता है जो कि धमनी की दीवारों पर जमा अपशिष्ट उत्पादों (जैसे- कॉलेस्टेरोल) को संकुचित करता है और धमनी में एम्बेडेड विस्तारित स्टेंट को छोड़ देता है। ड्रग एल्यूटिंग स्टेंट जो कि यूएसएफडीए द्वारा अच्छी तरह से अध्ययन और अनुमोदित हैं और मधुमेह, उच्च रक्तस्राव जोखिम आदि जैसी अन्य जटिलताओं वाले रोगियों में भी सुरक्षित हैं।
हार्ट अटैक से बचने के उपाय
· खान-पान और रहन-सहन में बदलाव जरूरी है। एक स्वस्थ आहार और व्यायाम दिल के दौरे के जोखिम को कम कर सकता है।
· धूम्रपान और नशीली दवाओं से दूरी भी दिल के दौरे के खतरे को कम करता है।
· दिल की बीमारियों के पारिवारिक इतिहास वाले व्यक्तियों में, दवाएं परिणामों को महत्वपूर्ण रूप से कम करने में मदद कर सकती हैं।
· तनाव को नियंत्रित करना भी जरूरी है। ऐसा करने के लिए कोई भी योग और ध्यान जैसे उपायों को अपनाया जा सकता है।
· रक्त शर्करा और रक्तचाप की नियमित जांच कराते रहें।