सरकार को 13 सूत्रीय मांग पत्र भेजे
शिमला।
संयुक्त किसान मंच ने आज जिला शिमला, कुल्लू, किन्नौर, मण्डी, सोलन, सिरमौर व अन्य जिलों में विभिन्न किसान संगठनों के साथ मिलकर अपनी मांगों को लेकर तहसील, ब्लॉक व उपमण्डल स्तर पर प्रदर्शन किया तथा सरकार को 13 सूत्रीय मांग पत्र इनके माध्यम से प्रेषित किया गया। इस प्रदर्शन में संयुक्त किसान मंच के नेतृत्व के साथ अन्य किसान संगठनों के नेतृत्व ने भी भाग लिया तथा विभिन्न जिला परिषद व ब्लॉक समिति सदस्यों, प्रधानों व उप प्रधानों, पंचायत सदस्यों ने भी भाग लिया। रोहड़ू के विधायक मोहन लाल बरागटा व ठियोग कुमारसैन के विधायक राकेश सिंघा ने भी प्रदर्शन में भाग लिया। इनके अतिरिक्त सेब सीजन व वर्षा के बावजूद इस प्रदर्शनों में हजारों किसानों ने भाग लिया। संयुक्त किसान मंच ने निर्णय लिया है कि यदि सरकार किसानों की मांगो पर अमल नहीं करती है तो संयुक्त किसान मंच अन्य संगठनों के साथ मिलकर 27 सिंतबर को प्रदेशव्यापी प्रदर्शन करेगी और ये आंदोलन तब तक जारी रहेगा जब तक सरकार किसानों की मांगों पर अमल नहीं करेगी।
विभिन्न स्थानों में इन प्रदर्शनों के माध्यम से किसानों व बागवानों ने सरकार द्वारा किसानों की मांगों पर कोई गौर न करने के आरोप लगाए गए और सरकार से मांग की गई कि सरकार किसानों की इन मांगों को तुरंत मान कर किसानों को राहत प्रदान करे। वक्ताओं ने सरकार पर किसान विरोधी रवय्या अपनाने का आरोप लगाया और कहा कि किसान बार बार आग्रह कर रहे हैं कि इस संकट की घड़ी में सरकार राहत प्रदान करे। परन्तु सरकार किसानों से बात तक नहीं कर रही है। जिससे स्पष्ट है कि सरकार अदानी व अन्य कंपनियों, आढ़तियों व खरीददारो के दबाव में कार्य कर रही है।
वक्ताओं ने कहा कि आज प्रदेश की सेब की आर्थिकी गंभीर संकट के दौर से गुजर रही है। एक ओर सरकार द्वारा जो सहायता व सब्सिडी कृषि व बागवानी विभागों के माध्यम से दी जा रही थी वह समाप्त कर दी गई है और किसान को खुला बाज़ार और खुला व्यापार की नीति के तहत बाजार से महंगी लागत वस्तुएं खरीदने के लिए मजबूर कर दिया है। जिससे किसान की लागत कीमत में निरन्तर वृद्धि हो रही है और उत्पादन व उत्पादकता में निरंतर गिरावट आ रही है। दूसरी ओर अदानी व अन्य कंपनियों तथा मण्डियों में आढ़तियों व खरीददारों के शोषण व लूट के कारण किसानों को उचित दाम नहीं मिल रहे हैं। इससे सेब बागवानों का आजीविका का संकट पैदा हो गया है। यदि सरकार समय रहते हस्तक्षेप नहीं करती तो लाखों परिवारों को रोजगार व आजीविका प्रदान करने वाली 5000 करोड़ रुपए की सेब की आर्थिकी पर गए गंभीर संकट छा जाएगा और लाखों परिवारों का आजीविका का संकट हो जाएगा।
इन प्रदर्शनो के माध्यम से सरकार को ज्ञापन के माध्यम से माँग पत्र भी दिया गया, जिसमें निम्न मांगें रखी गई-
1. सभी फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य(MSP) तय कर इसे कानूनी रूप से लागू किया जाए।
2. हिमाचल प्रदेश में भी कश्मीर की तर्ज पर मण्डी मध्यस्थता योजना(MIS) पूर्ण रूप से लागू की जाए तथा सेब के लिए मण्डी मध्यस्थता योजना(MIS) के तहत A, B व C ग्रेड के सेब के लिए क्रमशः 60 रुपये, 44 रुपये व 24 रुपये प्रति किलो समर्थन मूल्य पर खरीद की जाये।
3. प्रदेश की विपणन मण्डियों में ए पी एम सी कानून को सख्ती से लागू किया जाए। मंडियों में खुली बोली लगाई जाए व किसान से गैर कानूनी रूप से की जा रही मनमानी वसूली जिसमें मनमाने लेबर चार्ज, छूट, बैंक डी डी व अन्य चार्जिज को तुरन्त समाप्त किया जाए व किसानों से प्रदेश में विभिन्न बैरियरों पर ली जा रही मार्किट फीस वसूली पर तुरन्त रोक लगाई जाए। जिन किसानों से इस प्रकार की गैर कानूनी वसूली की गई है उन्हें इसे वापिस किया जाए।
4.किसानों के आढ़तियों व खरीददारो के पास बकाया पैसों का भुगतान तुरन्त करवाया जाए तथा मंडियों में ए पी एम सी कानून के प्रावधानों के तहत किसानो को जिस दिन उनका उत्पाद बिके उसी दिन उनका भुगतान सुनिश्चित किया जाए। जिन खरीददार व आढ़तियों ने बकाया भुगतान नहीं किया है उनके विरुद्ध कड़ी कानूनी कार्यवाही की जाए।
5.अदानी व अन्य कंपनियों के CA स्टोर में इसके निर्माण के समय शर्तों के अनुसार बागवानों को 25 प्रतिशत सेब रखने के प्रावधान को तुरंत सख्ती से लागू किया जाए।
6. किसान सहकारी समितियों को स्थानीय स्तर पर CA स्टोर बनाने के लिए 90 प्रतिशत अनुदान प्रदान किया जाए।
7.सेब व अन्य फलों, फूलों व सब्जियों की पैकेजिंग में इस्तेमाल किये जा रहे कार्टन व ट्रे की कीमतों में की गई भारी वृद्धि वापिस की जाए।
8. प्रदेश में भारी ओलावृष्टि व वर्षा, असामयिक बर्फबारी, सूखा व अन्य प्राकृतिक आपदाओं से किसानों व बागवानों को हुए नुकसान का सरकार मुआवजा प्रदान राहत प्रदान करे।
9. बढ़ती महंगाई पर रोक लगाई जाए तथा मालभाड़े में की गई वृद्धि वापिस ली जाए।
10. प्रदेश की सभी मंडियों में सेब व अन्य सभी बफसले वजन के हिसाब से बेची जाए।
11. HPMC व Himfed द्वारा गत वर्षों में लिए गए सेब का भुगतान तुरन्त किया जाए।
12. खाद, बीज, कीटनाशक, फफूंदीनाशक व अन्य लागत वस्तुओं पर दी जा रही सब्सिडी को पुनः बहाल किया जाए और सरकार कृषि व बागवानी विभागों के माध्यम से किसानों को उचित गुणवत्ता वाली लागत वस्तुएं सस्ती दरों पर उपलब्ध करवाए।
13. कृषि व बागवानी के लिये प्रयोग में आने वाले उपकरणों स्प्रेयर, टिलर, एन्टी हेल नेट आदि की बकाया सब्सिडी तुरन्त प्रदान की जाए।
संयुक्त किसान मंच के संयोजक हरीश चौहान ने किसानों व बागवानों के संकट को और अधिक बढ़ाने वाली इन समस्याओं के समाधान हेतू सरकार उचित कदम उठाए और इन मांगो का तुरन्त स्वीकार कर राहत प्रदान करें।