शिमला।
सीटू राज्य कमेटी ने शिमला के कनलोग में झारखंड के गुमला जिला के प्रवासी मजदूर की पांच वर्षीय बच्ची को तेंदुए द्वारा जान से मारने के घटनाक्रम पर गहरा दुख व्यक्त किया है। सीटू ने प्रदेश सरकार व प्रशासन से मांग की है कि बच्ची के परिवार को कम से कम पच्चीस लाख रुपये मुआवजा दिया जाए।
सीटू प्रदेशाध्यक्ष विजेंद्र मेहरा व महासचिव प्रेम गौतम ने इस घटनाक्रम के लिए प्रदेश सरकार,वन विभाग,श्रम विभाग व प्रशासन को जिम्मेदार ठहराया है। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार,श्रम विभाग व प्रशासन को अंतर्राज्यीय प्रवासी मजदूर अधिनियम 1979 के अनुसार प्रवासी मजदूरों की अच्छी व सुरक्षित रिहाईश,बिजली का उचित प्रबंध करने,उनके छोटे बच्चों के लिए क्रेच,सामान्य मजदूरों की अपेक्षा उन्हें पचास प्रतिशत अधिक वेतन देने,महिला मजदूरों को पुरुष मजदूरों के समकक्ष वेतन देने व उनकी कामकाजी परिस्थितियों को बेहतर करने की व्यवस्था करना आवश्यक है। परन्तु ये सभी व्यवस्थाएं व कानूनी अधिकार केवल किताबों तक सीमित रह गए व लागू नहीं हुए। सरकार व प्रशासन की इसी लापरवाही व गैर कानूनी रवैये के कारण ही बच्ची को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा। यह मौत नहीं है बल्कि प्रशासन के गैर जिम्मेवाराना व्यवहार के कारण हुई हत्या है।
उन्होंने कहा कि अगर सरकार,श्रम विभाग,वन विभाग व प्रशासन ने अंतर्राज्यीय प्रवासी मजदूर अधिनियम 1979 को सख्ती से लागू किया होता तो जिस ढारे में बच्ची रहती थी,उसकी जगह बेहतर आवासीय सुविधा होती। वहां पर बिजली का उचित प्रबंध होता व यह रिहाईश बेहतर जगह पर होती व यह हादसा नहीं होता। यह सब सरकार के प्रवासी मजदूरों के प्रति संवेदनहीन व्यवहार के कारण हुआ है। शिमला शहर व इसके इर्द-गिर्द लगभग पच्चीस हजार प्रवासी मजदूर कार्यरत हैं, परन्तु श्रम विभाग के पास यह आंकड़ा केवल पांच सौ है। शिमला शहर के ज़्यादातर मजदूरों का श्रमिक कल्याण बोर्ड में पंजीकरण तक नहीं हो रहा है व उन्हें इसके अंतर्गत सुविधाएं नहीं मिल रही हैं। इसी से सरकार का प्रवासी मजदूरों के प्रति नज़रिया झलकता है। जब सरकार प्रवासी मजदूरों का आंकड़ा इकट्ठा करने व उनका पंजीकरण करने तक की ज़हमत नहीं उठाती तो इन मजदूरों की सुरक्षा व सुविधाओं की सरकार से कोई उम्मीद करना भी बेमानी है। उन्होंने सरकार से अंतर्राज्यीय प्रवासी मजदूर अधिनियम 1979 को सख्ती से लागू करने की मांग की है। उन्होंने कहा कि अगर बच्ची के परिवार को आर्थिक मदद न मिली तो सीटू सड़कों पर उतरकर आंदोलन के लिए मजबूर होगा।