शिमला।
करोना महामारी को मार झेल रहे होटल कारोबारियों ने होटल इंडस्ट्री को गारबेज फीस तथा प्रॉपर्टी टैक्स में छूट देने की मांग की है। कारोबारियों का कहना है कि हिमाचल के पर्यटन उद्योग को महामारी की सबसे अधिक मार झेलनी पड़ी है।
टूरिज्म इंडस्ट्रीज स्टेक होल्डर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष महेंद्र सेठ का कहना है कि
होटल इंडस्ट्री की हालात सबसे नाजुक हो गई है क्यूंकि पिछले वर्ष आठ से नौ महीने होटल व्यवसाय पूरी तरह से बंद रहा तथा इस वर्ष भी करोना की दूसरी लहर के चलते लगभग तीन महीने पर्यटकों की आमद न होने के कारण होटल मालिकों को होटलो को बंद रखने पर मजबूर होना पड़ा है। होटल इंडस्ट्री से जुड़े उध्मियों के पास वर्किंग कैपिटल शून्य ही चुका है।
ऐसे में हम शिमला नगर निगम से आग्रह करते है कि अन्य पर्यटन राज्यों के तर्ज पर एक वर्ष के लिए प्रॉपर्टी टैक्स ,गार्बेज शुल्क तह पानी के बिलों पर लगने वाले सेस में 50% की छूट दी जाए। कर्नाटक तथा महाराष्ट्र तथा अन्य कई प्रदेशों ने पर्यटन से जुड़ी इकाइयों को एक राहत पैकेज देकर 50% शुल्कों में रियात देने के अलावा बिजली पर लगने वाले डिमांड चार्जेज को एक वर्ष के लिए समाप्त कर दिया है। गुजरात सरकार ने तो एक वर्ष के लिए सभी प्रकार के शुल्कों तथा बिजली पर लगने वाले डिमांड चार्जेज को खत्म कर दिया है। उनका कहना है कि नगर निगम केमिस्ट तथा जिम इत्यादि को गारबेज फी में छूट देने पर विचार कर रहा है जबकि कैमिस्ट की दुकान करोना महामारी के दौरान भी खुली रही। होटल,रेस्टॉरेंटों तथा अन्य पर्यटक इकाईयों को भी गरबाजे तथा प्रॉपर्टी टैक्स में एक वर्ष के लिए छूट मिलनी चाहिए ताकि पर्यटन से जुड़े व्यवसायों को राहत मिल सके। पर्यटन उद्योग को पटरी पर आने में अभी कम से कम दो तीन वर्ष का समय लग सकता है । वहीं देश में तीसरी लहर के आने का खतरा भी पर्यटन उद्योग पर मंडरा रहा है।जिसके चलते पर्यटन उद्योग दोबारा से प्रभावित हो सकता सकता है। हिमाचल में लगातार दूसरे वर्ष भी गर्मियों के पर्यटन सीजन पर्यटन से जुड़े उध्मियों के हाथ से खिसक गया है । मजूदा हालात में निगम द्वारा होटल इंडस्ट्री को दी गई राहत संजीवनी का काम कर सकती है। ऐसे में होटलकारोबारी उम्मीद लगाए है कि शिमला नगर निगम अन्य पर्यटन राज्यों के तर्ज पर होटल इंडस्ट्री को शीघ्र राहत प्रधान करने का निर्णय लेगा ताकि पर्यटन से जुड़े व्यसाईओं को राहत मिल सके।