April 24, 2024

पेयजल आपूर्ति एवं जल विद्युत उत्पादन में अहम भूमिका निभाएगी रेणुका जी बांध परियोजना

1 min read

शिमला

नदियां प्रकृति का एक महान वरदान हैं और विभिन्न सभ्यताओं के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती रही हैं। हिमाचल प्रदेश में कल-कल बहती नदियां न केवल यहां के नैसर्गिक सौन्दर्य को चार चांद लगाती हैं बल्कि राज्य के सामाजिक-आर्थिक विकास में भी उल्लेखनीय योगदान दे रही हैं। प्रदेश में नदियों पर बनाए गए बांध और जलाशय राज्य की आर्थिकी को सुदृढ़ करने में संबल प्रदान कर रहे हैं। प्रदेश में नदी जल संसाधनों के कुशल प्रबंधन के लिए विभिन्न नदी बेसिन, जो गहन सर्वेक्षण के उपरान्त तकनीकी रूप से संभव एवं आर्थिक रूप से व्यवहार्य पाई गई हैं, के लिए विशिष्ट योजनाएं बनाई जा रही हैं।

इसी कड़ी में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने 27 दिसम्बर, 2021 को प्रदेश में महत्वकांक्षी रेणुका जी बांध परियोजना का पड्डल मैदान, मण्डी से शिलान्यास किया। यह परियोजना हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिले में यमुना नदी की सहायक नदी, गिरी पर बनाई जाएगी। इस परियोजना का बांध नदी के तल से 148 मीटर ऊॅंचा होगा, जो बरसात में बह जाने वाले पानी को रोक कर उसका भण्डारण करेगा। इससे बनने वाला जलाशय 24 किलोमीटर लम्बा होगा, जिसमें 498 मिलियन घन मीटर उपयोग योग्य जल एकत्रित होगा। इस राष्ट्रीय परियोजना के 40 मेगावाट क्षमता वाले विद्युत गृह से 200 मिलियन यूनिट ऊर्जा का वार्षिक उत्पादन होगा, जिसका उपयोग हिमाचल प्रदेश द्वारा किया जाएगा। बांध के जल की 23 घन मीटर प्रति सेकेंड की दर से राजधानी क्षेत्र दिल्ली के लिए आपूर्ति की जाएगी, जिससे दिल्ली में पेयजल की 40 प्रतिशत जरूरतों की पूर्ति होगी और पेयजल समस्या को दूर करने में मदद मिलेगी।
गिरी नदी की ऊर्जा क्षमता का दोहन करने के लिए वर्ष 1942 में तत्कालीन पंजाब राज्य द्वारा अन्वेषण कार्य शुरू किया गया था। 1964 में हिमाचल सरकार ने दो परियोजनाओं पर अन्वेषण को आगे बढ़ाया। इनमें से एक परियोजना गिरी जल विद्युत परियोजना 60 मेगावाट का कार्य सत्तर के दशक में शुरू हो गया एवं कालांतर में पूर्ण कर लिया गया। रेणुका जी बांध परियोजना की विस्तृत रिपोर्ट को वर्ष 2000 में जल संसाधन मंत्रालय की तकनीकी सलाहकार समिति ने 1224.64 करोड़ की सहमति दी, लेकिन कुछ कारणों से परियोजना अमल में नहीं लाई जा सकी। वर्ष 2015 में पुनः इस परियोजना की विस्तृत रिपोर्ट को जल संसाधन मंत्रालय की तकनीकी सलाहकार समिति ने 4596.76 करोड़ रुपये के कुल मूल्य के लिए स्वीकार किया, लेकिन यमुना बेसिन के लाभान्वित होने वाले राज्यों में अन्तरराज्यीय समझौता न होने के कारण परियोजना को आगे नहीं बढ़ाया जा सका।

भारत सरकार के अथक प्रयासों से 9 जनवरी, 2019 को छः राज्यों दिल्ली, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान, उत्तराखण्ड एवं हिमाचल में अन्तरराज्यीय समझौता हस्ताक्षरित हुआ। 9 दिसम्बर, 2019 को जल शक्ति मंत्रालय की तकनीकी सलाहकार समिति ने परियोजना की रिपोर्ट को 6946.99 करोड़ रुपये के लिए सहमति दी। जिसमें जल घटक 6647.46 करोड़ रुपये है।

रेणुका जी बांध परियोजना के निर्माण में लगभग 13.14 लाख मानव दिवस का रोजगार राज्य के युवाओं के लिए सृजित किया जाएगा। पुनर्वास एवं पुनर्स्थापना नीति के अनुसार स्थानीय युवाओं के कौशल विकास एवं उनकी रोजगार क्षमता बढ़ाने के लिए कार्यक्रम चलाए जाएंगे। 160,34,25,000 रुपये के कुल परिव्यय के साथ जलग्रहण क्षेत्र सुधार योजना का काम कैचमेंट के स्वास्थ्य में सुधार के लिए किया जाएगा। इस परियोजना का निर्माण कार्य पूर्ण होने पर विद्युत उत्पादन से अर्जित राजस्व का एक प्रतिशत हिस्सा प्रतिवर्ष परियोजना प्रभावित क्षेत्र में वितरित किया जाएगा।
राष्ट्रीय परियोजना स्कीम में शामिल रेणुका जी बांध परियोजना पेयजल तथा विद्युत आपूर्ति के साथ-साथ पर्यटन एवं साहसिक गतिविधियों के विकास में दूरगामी भूमिका निभाएगी। इसके माध्यम से रोजगार के अवसर उपलब्ध होंगे, जिससे क्षेत्र के लोगों की सामाजिक-आर्थिक स्थिति में और सुधार होगा।

About Author

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Copyright © All rights reserved. | Newsphere by AF themes.