वेतन विसंगति जल्द दूर करे सरकार,अन्यथा फायर ब्रिगेड कर्मचारी यूनियन बनाएगी रणनीति : रविंद्र शर्मा

फायर कर्मियों को वेतन विसंगति को लेकर सरकार के पास की गई फरियाद पर कोई सुनवाई हुई। इससे फायर कर्मियों में रोष व्याप्त है।
फायर ब्रिगेड यूनियन की मानें तो वह वेतन विसंगति का मामला अराजपत्रित कर्मचारी महासंघ के प्रदेशाध्यक्ष अश्वनी ठाकुर, वित्त सचिव प्रदेश सरकार, मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के समक्ष उठा चुकी है। लेकिन इसके बाबजूद भी इस वर्ग की समस्या को सुलझाने के लिए आज दिन तक कोई भी कार्रवाई अमल में नही लाई गई है। ऐसी स्थिति में यूनियन ने जल्द ही आगामी रणनीति अख्तियार करने का फेसला लिया है।
हिमाचल प्रदेश फायर बिग्रेड कर्मचारी यूनियन के प्रदेश अध्यक्ष रविंद्र शर्मा ने बताया कि कर्मचारियों को वर्ष 2006 के पे-बैंड एवं ग्रेड-पे को वर्ष सितंबर 2012 में दोबारा संशोधित करके अन्य विभागों पुलिस आरक्षी, जेल वार्डन, वनरक्षक, पटवारी व लिपिक को बेसिक-पे 10,300-34800 व ग्रेड-पे 3200 जारी कर दिया गया। लेकिन इस दौरान फायर बिग्रेड के तकनीकी कर्मचारियों को वर्ष 2012 से उपरोक्त संशोधन वेतनमान नही दिया गया है। उन्होंने कहा कि हालांकि इस मामले को 17 अक्तूबर 2015, 13 जुलाई 2018 के तहत भी विभाग के फायर ब्रिगेड के तकनीकी कर्मचारियों को संशोधित वेतनमान प्रदान करने के लिए सरकार से अनुरोध किया जा चुका है। उन्होंने कहा कि मौजूदा सरकार ने छठे वेतन आयोग के अंतर्गत वेतनमान को तो लागू कर दिया, लेकिन इस दौरान वर्ष 2012 की वेतन विसंगति को दूर नही किया गया। उन्होंने कहा कि प्रदेश मे फायर ब्रिगेड कर्मचारियों की आपात सेवाएं जोखिम पूर्ण है। कर्मचारियों ने अपनी जान की परवाह न करते हुए आग, रेस्क्यू समेत अन्य आपादाओ पर काबू पाने के लिए बेहतरीन रोक अदा किया है। इसके बाबजूद वर्ग विशेष के हितों के साथ कुठाराघात किया गया है। मामले को हर उचित सरकारी मंच पर उठाया जा चुका है। लेकिन आज दिन तक कोई कार्रवाई अमल में नही लाई गई है। जिससे तकनीकी कर्मचारियों मे रोष व्याप्त है। उन्होंने कहा कि अपने साथ अन्याय को लेकर यूनियन चुप नही बैठेगी और अपना हक लेने के लिए शीघ्र ही आगामी रणनीति अख्तियार की जाएगी। उन्होंने कहा कि प्रदेश में फायर बिग्रेड कर्मचारी आपात सेवा में डटे हुए हैं। इनकी वेतन विसंगति की मांगों को नजरअंदाज किया जा रहा है और मुख्यमंत्री समेत सचिवालय के चक्कर लगाने के बाबजूद मामला नही सुलझा है।

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