April 24, 2024


Warning: sprintf(): Too few arguments in /home/zurwmpgs60ss/public_html/shimlanews.com/wp-content/themes/newsphere/lib/breadcrumb-trail/inc/breadcrumbs.php on line 253

स्टेट ऑर्गन एंड टिशु ट्रांसप्लांट ऑर्गेनाइजेशन ने सीएचसी धामी में लगाया जागरूकता शिविर

1 min read








सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र धामी में आयोजित स्वास्थ्य मेला आयोजित
सक्षम गुड़िया बोर्ड की उपाध्यक्ष व कैलाश फेडरेशन के उपाध्यक्ष ने शपथ पत्र भरकर किया लोगों को प्रोत्साहित

शिमला के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र धामी में आयोजित स्वास्थ्य मेले में स्टेट ऑर्गन एंड टिशु ट्रांसप्लांट ऑर्गेनाइजेशन (सोटो) हिमाचल प्रदेश की ओर से जागरूकता शिविर लगाया गया। इसमें सक्षम गुड़िया बोर्ड की उपाध्यक्ष रूपा शर्मा व कैलाश फेडरेशन के उपाध्यक्ष रवि मेहता ने अंगदान का शपथ पत्र भरकर लोगों को प्रेरित किया । उन्होंने अंगदान को लेकर जागरूकता फैलाने के लिए सोटो हिमाचल की टीम के प्रयास की सराहना की और टीम का उत्साह वर्धन किया । इस मौके पर
हलोग धामी की प्रधान कुमारी चन्द्रावती, पिप्लीधार प्रधान सुनीता शर्मा, हलोग धामी के पूर्व प्रधान जगदीप सिंह व कमलेश कुमारी सहित 30 लोगों ने अंगदांन की शपथ ली
सक्षम गुड़िया बोर्ड की उपाध्यक्ष ने कहा कि हिमाचल में अंगदान के प्रति जानकारी फैलना बहुत जरूरी है, अंगदान एक महान कार्य है जो मृत्यु के बाद दूसरों की जिंदगी बचाने का अवसर देता है ।
सोटो टीम ने लोगों को अंगदान के प्रति जागरूक किया और पेंफ्लेट बांटकर अंगदान करने के लिए शपथ पत्र भरने का आग्रह किया। इसमें स्थानीय लोगों ने बढ़ चढ़कर भाग लिया। इस दौरान सोटो टीम ने बताया कि लोग मृत्यु के बाद भी अपने अंगदान करके जरूरतमंद का जीवन बचा सकते हैं। अंगदान करने वाला व्यक्ति ऑर्गन के जरिए 8 लोगों का जीवन बचा सकता है। किसी व्‍यक्ति की ब्रेन डेथ की पुष्टि होने के बाद, डॉक्‍टर उसके घरवालों की इच्छा से शरीर से अंग निकाल पाते हैं। इससे पहले सभी कानूनी प्रकियाएं पूरी की जाती हैं। इस प्रक्रिया को एक निश्‍चित समय के भीतर पूरा करना होता है। ज्‍यादा समय होने पर अंग खराब होने शुरू हो जाते हैं। देश में प्रतिदिन प्रत्येक 17 मिनट में एक मरीज ट्रांसप्लांट का इंतजार करते हुए जिंदगी से हाथ धो बैठता है।
एक व्यक्ति जिसकी उम्र कम से कम 18 वर्ष को स्वैच्छिक रूप से अपने करीबी रिश्तेदारों को देश के कानून व नियमों के दायरे में रहकर अंगदान कर सकता है । अंगदान एक महान कार्य है जो हमें मृत्यु के बाद कई जिंदगियां बचाने का अवसर देता है।जीवित अंगदाता किडनी, लीवर का भाग, फेफड़े का भाग और बोन मैरो दान दे सकते हैं, वहीं मृत्युदाता यकृत, गुर्दे, फेफड़े, पेनक्रियाज, कॉर्निया और त्वचा दान कर सकते हैं।पिछले माह हिमाचल में पहली बार ब्रेन डेड मरीज के शरीर से अंगदान हुआ जहां अठारह वर्षीय युवक ने दो किडनी व आंखे दान की। यह अंगदान टांडा मेडिकल कॉलेज में हुआ था।


कार्यक्रम में सीएमओ डॉ सुरेखा चोपड़ा, बीमओ डॉ राकेश प्रताप, सोटो की आईईसी मीडिया कंसलटेंट रामेश्वरी, ट्रांसप्लांट कोऑर्डिनेटर नरेश कुमार सहित अन्य लोग मौजूद रहे।



अंगदान के फैसले में परिवार को करें शामिल

अपने परिवार के समक्ष अपने अंगों एवं उत्तकओं को दान करने की इच्छा जाहिर करें, ताकि मृत्यु की दुर्घटना के समय अंगों एवं उत्तकों को दान करने के लिए उसकी सहमति परिवार के जनों से ली जा सके ।


शरीर को नहीं किया जाता क्षत विक्षत

अंगदान के लिए परिजनों की सहमति सहित अन्य औपचारिकताएं पूरी करने के बाद ट्रांसप्लांट के लिए जिस व्यक्ति के शरीर से अंगों को निकाला जाता है , उस शरीर को क्षत-विक्षत नहीं किया जाता। विशेषज्ञ डॉक्टरों की निगरानी में आंखों सहित अन्य अंगों को सावधानी पूर्वक निकाला जाता है। शरीर के जिन हिस्सों से अंग निकाले जाते हैं उन जगहों पर स्टिचिंग की जाती है। कॉर्निया निकालने के बाद आर्टिफिशियल आंखें मृत शरीर में लगा दी जाती है ताकि शरीर भद्दा नजर ना आए ।

About Author

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Copyright © All rights reserved. | Newsphere by AF themes.