कसुम्पटी विधानसभा क्षेत्र के पिछड़ेपन के लिए कांग्रेस और भाजपा दोनों बराबर की जिम्मेदार : कुलदीप तंवर

कसुम्पटी विधानसभा क्षेत्र से सीपीआई(एम) के उम्मीदवार घोषित होने के बाद पार्टी प्रत्याशी डॉ. कुलदीप सिंह तंवर मीडिया से से मुखातिब हुए। डॉ. तंवर ने प्रैस कॉन्फ्रेंस में कहा कि इस बार कसुम्पटी विधानसभा क्षेत्र की जनता रियासतों में नहीं बंटेगी बल्कि कांग्रेस और भाजपा से विकास का हिसाब मांगेगी। डॉ. तंवर ने कहा कि कसुम्पटी विधानसभा क्षेत्र के पिछड़ेपन के लिए कांग्रेस और भाजपा दोनों बराबर की जिम्मेदार हैं। उन्होंने कहा कि कांग्रेस पिछले 20 वर्षों से इस क्षेत्र का नेतृत्व कर रही है और इस बीच भाजपा की भी दो बार प्रदेश में सरकारें बन चुकी हैं लेकिन न तो कसुम्पटी के ग्रामीण इलाके का विकास हुआ और न ही इसके शहरी क्षेत्र के लिए दोनों दलों ने कुछ किया। माकपा प्रत्याशी ने कहा कि कसुम्पटी की 36 पंचायतों में शिक्षा, स्वास्थ्य, सड़क और परिवहन की हालत प्रदेश की कई दुर्गम पंचायतों से भी बदतर है।

डॉ. तंवर ने कहा कि सड़कों को किसी भी क्षेत्र की जीवन रेखा कहा जाता है लेकिन इस क्षेत्र में सड़कें केवल लकीरें बनकर रह गई हैं। जो हर बरसात और सर्दी में मिट जाती हैं और लोग अपना पैसा लगाकर इन्हें हर साल ठीक करते हैं। क्षेत्र में लगभग 300 के करीब सड़कों में फॉरेस्ट की वॉयलेशन हुई है जिनमें कोई भी सरकारी वाहन नहीं चल सकता और न ही पीडब्ल्यूडी विभाग इनका रखरखाव कर पाता है। वहीं इसी के पड़ोस का ठियोग विधानसभा क्षेत्र है जहां इस कार्यकाल में 173 मामले पर्यावरण से मंजूर करवाए गए जिनमें 80 फीसदी ग्रामीण सड़कें हैं।

सड़कें न होने से कसुम्पटी विधानसभा क्षेत्र में जनता को बस सुविधाएं नहीं मिल पा रही। स्कूल और कॉलेज के लिए बच्चों को बसें उपलब्ध नहीं हैं।

डॉ. तंवर ने कहा कि खेद का विषय है कि राजनैतिक रैलियों की लिए बसें उपलब्ध हो जाती हैं, संभावित प्रत्याशी अपनी रैलियों के लिए लोगों को बसें लगाकर ढोते हैं लेकिन किसी ने भी इस क्षेत्र में लोगों के लिए बसें लगवाने के प्रयास नहीं किए बल्कि लगी हुई बसों को बंद करवाने का काम ज़रूर हुआ। डॉ. तंवर ने कहा कि कसुम्पटी का क्षेत्र संभवतः ऐसा क्षेत्र होगा जहां कोविड के बाद सबसे ज्यादा बस रूट बंद हुए हैं।

वहीं शिक्षा की हालत ऐसी है कि स्कूलों में अध्यापक नहीं हैं। अनेकों स्कूल भवन जर्जर हालत में हैं। 15-15 सालों से स्कूल में स्टाफ नहीं है। भाषा और शारीरिक शिक्षा के अध्यापक नहीं हैं। स्कूलों में विज्ञान और कॉमर्स विषय नहीं हैं। इन विषयों को पढ़ने के लिए छात्रों को पड़ोसी जिले सोलन या फिर 20-25 किलोमीटर तक जाना पड़ता है जहां के लिए बसें नहीं मिलती।

डॉ. तंवर ने कहा कि स्वास्थ्य सेवाएं बदहाल स्थिति में हैं। कुछ अर्से पहले तक सिविल अस्पताल जुन्गा और सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र कोटी, जुन्गा में न तो टेस्ट होते थे और न ही स्टाफ था।

डॉ. तंवर ने कहा कि कसुम्पटी विधानसभा क्षेत्र में पशुओं में लंपी रोग का भयंकर प्रकोप हुआ, कई पशु मर गए। एक-एक पशुपालक का हज़ारों-लाखों रुपए का नुकसान हुआ। उनकी आजीविका प्रभावित हुई। लेकिन कांग्रेस भाजपा के नेताओं ने पशुपालकों की मदद करने के बजाए उन्हें दो टूक जवाब दिया कि उनका काम ओबरे में जाना नहीं है।

कसुम्पटी विधानसभा क्षेत्र कि 6 पंचायतों के फोरेलेन प्रभावित लोग सर्कार के फेक्टर 2 के तहत चार गुणा मुआवज़े की मांग कर रहे हैं लेकिन सरकार इस पर कोई गौर नहीं कर रही। कोविड के दौरान किसानों पर क़र्ज़ का बोझ बढ़ा है, उस पर भी सरकार मौन है। ग्रामीण और शहरी सड़कें गड्ढों में तब्दील हो चुकी हैं और हादसों को निमंत्रण दे रही हैं।

डॉ. तंवर ने कहा कि भाजपा और कांग्रेस मूलभूत सुविधाओं के लिए आवाज़ उठाने के बजाय लोगों को रस्साकसी और नाटियों में उलझने और उन्हें रियासतों के आधार पर बांटने की कोशिश कर रही हैं।

माकपा प्रत्याशी ने कहा कि दोनों दल इस क्षेत्र के युवाओं कि शिक्षा और रोज़गार के प्रति ज़रा भी चिंतित नहीं हैं। पर्यटन की अपार संभावनाओं के बावजूद यहाँ के पर्यटन स्थलों को विकसित करने के बारे में नेताओं का न तो विज़न है और न ही कोई योजना। भविष्य की चिंता में युवा नशे की दलदल में जाते जा रहे हैं और चुनावों में राजनैतिक दल युवाओं का इस्तेमाल करने के लिए इस बुराई को और ज्यादा बढ़ावा देते हैं।

माकपा प्रत्याशी ने कहा कि इस बार कसुम्पटी की जनता इन खोखले और जनता को बांटने वाले नारों से भ्रमित होने वाली नहीं है। इस बार चुनावी दंगल विकास के मैदान पर लड़ा जाएगा।

डॉ. तंवर ने कांग्रेस और भाजपा पर कसुम्पटी विधानसभा क्षेत्र के तहत आने वाले मर्ज्ड एरिया को नज़रंदाज़ करने का आरोप भी लगाया। डॉ. तंवर ने कहा कि नगर निगम के 14 वार्ड इस विधानसभा क्षेत्र में आते हैं लेकिन दोनों दलों ने और इनकी सरकारों ने इस क्षेत्र की अनदेखी की है। लोगों के खून पसीने से बनाए गए मकानों को अभी तक नियमित नहीं किया है जबकि हर चुनाव के घोषणापत्र में दोनों दल वायदा करते हैं। यहां तक कि मर्ज्ड एरिया के पुश्तैनी बाशिंदों तक को कोई राहत नहीं दी। दोनों सरकारों ने कसुम्पटी विधानसभा क्षेत्र के जल स्रोतों का पानी शहर के लिए उठाया और उसके बदले कसुम्पटी में सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट लगाकर शहर की गंदगी की सौगात इस क्षेत्र को दी।

भाजपा शासित नगर निगम ने निजी कम्पनी एसजेपीएनएल को सौंपकर पानी का व्यापारीकरण और निजीकरण कर दिया। जबकि सीपीआई(एम) के समय नगर निगम पानी का वितरण खुद करता था और बहुत ही कम दरों पर लोगों को पानी दिया जाता था जिसके आज लोगों को लाखों रुपए के बिल चुकाने पड़ रहे हैं।

मर्ज्ड एरिया में न तो नगर निगम स्मार्ट सिटी के तहत विकास कर रहा है और न ही विधायक निधि से इस क्षेत्र को कुछ मिल पा रहा है।

वहीं कसुम्पटी इकाई के सचिव सत्यवान पुंडीर ने कहा कि कांग्रेस और भाजपा की कारगुज़ारियों से अज़ीज़ कसुम्पटी की ग्रामीण और शहरी जनता ने इस बार तीसरे विकल्प के तौर सीपीआई(एम) को विधानसभा भेजने का मन बना लिया है। डॉ. कुलदीप सिंह तंवर के पास जहां प्रशानिक अनुभव है वहीं किसानों के मुद्दों के प्रति संवेदनशीलता भी है। उन्होंने आशा व्यक्त की है कि कर्मचारी से लेकर, नौजवान, महिलाएं, किसान इस बार मौका नहीं चूकना चाहेंगे और डॉ. तंवर जैसे काबिल उम्मीदवार को अपना भरपूर समर्थन देंगे।

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