कहा, एससी-एट्रोसिटी एक्ट और रोस्टर सिस्टम होगा निष्प्रभावी
ओबीसी का 27 फीसदी और ईडब्ल्यूएस का 10 फीसदी कोटा भी घटकर 7.5 फीसदी रह जाएगा
जिला सिरमौर अनुसूचित जाति गिरीपार मंच ने गिरिपार को ट्राइबल एरिया घोषित करने पर जताया कड़ा ऐतराज जताया है।
जिला सिरमौर अनुसूचित जाति गिरीपार मंच के संयोजक एडवोकेट अनिल कुमार मंगेट और सह संयोजक सुरेंद्र धर्मा व सलाहकार नीरज चौहान ने शिमला में एक प्रेस कांफ्रेंस में सिरमौर के गिरिपार इलाके को जनजातीय दर्जा देने के प्रस्ताव पर चिंता जताई।
उन्होंने कहा कि एसटी दर्जा देने का फैसला जिला सिरमौर की करीब 144 पांचायतों के एससी वर्ग के लोगों के लिए खतरनाक साबित होगा। उन्होंने कहा कि इस पूरे इलाके में जाति प्रथा इतनी गहरी है की आए दिन एससी वर्ग के लोगों पर कोई न कोई अत्याचार होता रहता है। सिरमौर जिला के एससी एसटी एट्रोसिटी के अधिकांश केस इसी इलाके से दर्ज हो रहे है।
एससी के लोग बड़ी संख्या में प्रताड़ित हो रहे है। ऐसे में इस इलाके को जनजातीय एरिया घोषित करने की प्रक्रिया गलत है। इससे एससी एट्रोसिटी एक्ट और पंचायती राज में रोस्टर सिस्टम भी निष्प्रभावी हो जायेगा।
यही नहीं ट्राइबल इलाका होने के बाद ओबीसी का 27 फीसदी और ईडब्ल्यूएस का 10 फीसदी आरक्षित कोटा भी घटकर 7.5 फीसदी रह जाएगा
मंच के नेताओं ने कहा कि अगर सरकार द्वारा फिर भी हमारे अधिकारों को दरकिनार किया जाता है तो वे अपनी लड़ाई लड़ेंगे। सरकार की इस मुहिम को किसी भी कीमत पर हम सहन करेंगे।
मंच के नेताओं ने रजिस्ट्रार जनरल की गिरिपार पर दी गई ताजा रिपोर्ट पर भी सवाल किए। उन्होंने कहा कि एक ओर 2017 की अपनी रिपोर्ट में रजिस्ट्रार जनरल ने साफ कहा था कि इस इलाके में जाति प्रथा प्रगाढ़ है और यह इलाज ऊंची और नीची जातियों में बंटा हैं। ऐसे में इसको एसटी दर्जा नहीं दिया जा सकता लेकिन अब 2022 में जो रिपोर्ट जारी की गई है उसमें जातियां भी बदल दी गई है। केवल पांच साल में यह सब हो गया, जो कि हैरान करने वाला है।
मंच के नेताओं ने उन मापदंडों का भी ब्यौरा दिया जिसे किसी भी इलाके को ट्राइबल घोषित करने का आधार बनाया जाता है। इनमें जातीय, सांस्कृतिक समानता ( जैसे एक भाषा,एक देवता, बहुपति प्रथा) अन्यों के साथ मिक्सअप न होना और
जियोग्राफिक कंडीशन शामिल है। उन्होंने साफ कहा कि इन मापदंडों को यह इलाका पूरा नहीं करता
यहां संस्कृति को आधार गलत माना गया है, जबकि यहां जाति आधारित समाजिक व्यव्स्था है। उन्होंने ऐलान किया कि
ऐसे में अगर सरकार गिरिपार को ट्राइबल घोषित करके उनके अधिकारों का हनन किया जाता है तो वे व्यापक आंदोलन करेंगे जिसका खामियाजा सरकार को भुगतने के लिए तैयार रहना होगा।