भारत की कम्युनिस्ट पार्टी(मार्क्सवादी) ने राज्य चुनाव आयोग के आयुक्त को पत्र लिखकर मांग की है कि राज्य सरकार द्वारा बनाए हिमाचल प्रदेश नगर निगम चुनाव(संशोधन) नियम, 2022 को वापिस लिया जाए तथा इसके नियम 26 में किये गए संशोधन को तुरन्त प्रभाव से निरस्त किया जाए। पार्टी ने कहा है कि यह संशोधन संविधान व Representation of the People Act, 1950(RPA,1950) की धारा 19 व धारा 20 का सरासर उलंघन है।
सीपीएम के राज्य सचिव डा ओंकार शाद ने कहा है कि RPA, 1950 में प्रावधान किया गया है कि प्रत्येक नागरिक जो 18 वर्ष की आयु पूर्ण कर चुका है और जहाँ भी वो आमतौर पर(Ordinarily) रहता है, उसका मत वहीं दर्ज करना होगा। जबकि सरकार द्वारा हिमाचल प्रदेश नगर निगम चुनाव(संशोधन) नियम 2012 के नियम 26 में संशोधन कर जो नए नियम बनाए हैं वह भारत के नागरिक को संविधान व RPA,1950 में दिये गए मत के अधिकार की मूल धारणा के विपरीत है तथा उसे मताधिकार से वंचित करता है। इसलिए इसे तुरन्त निरस्त कर हर नागरिक को उसके मत का अधिकार प्रदान किया जाए तथा नगर निगम शिमला के चुनाव के लिए जो वोटर लिस्ट प्रकाशित की जाए उसमे हर व्यक्ति जो शिमला शहर में आमतौर पर रहता है उसका नाम मतदाता सूची में सम्मिलित किया जाए।
सीपीएम के जिला सचिव संजय चौहान ने कहा है कि बीजेपी की प्रदेश सरकार इन चुनाव के नियमों में इस तरह के संशोधन कर वर्ग विशेष को उनके मताधिकार से वंचित रखना चाहती है तथा सरकार व नगर निगम शिमला में सत्ता में रहते अपनी विफलता के चलते हार महसूस कर जनता के मौलिक अधिकारों पर हमला कर रही है। चुनाव को प्रभावित करने के लिए बीजेपी सरकार इस तरह देश के संविधान व लोकतंत्र पर इस प्रकार के हमले कर इन्हें कमजोर कर रही है।
उन्होंने कहा कि सीपीएम देश के संविधान व लोकतंत्र पर बीजेपी सरकार के इस प्रकार के हमलों के विरुद्ध जनता के सहयोग से इसकी सुरक्षा के लिए संघर्ष जारी रखेगी। इस पत्र में राज्य चुनाव आयोग जोकि एक संवैधानिक व्यवस्था के आधार पर स्वतंत्र व निष्पक्ष चुनाव करवाने के लिए नियुक्त एक वैधानिक संस्था है से आग्रह किया गया है कि वह अपने दायित्व का निर्वहन कर स्वतंत्र व निष्पक्ष चुनाव करवाने के लिए प्रत्येक नागरिक के मताधिकार को सुरक्षित रखे और बिना किसी दबाव में निष्पक्षता से अपने दायित्व का निर्वहन करें।